Monday, November 9, 2020

तेजस्वी के सत्ता में आने पर बिहार में विकास का सूर्य उदय होगा

बिहार विधानसभा का ऊँट किस करवट बैठेगा इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल नहीं है। इस चुनाव में टकराव बीजेपी व जेडीयू और आरजेडी व उसके समर्थक दलों के महागठबंधन के बीच में है। चुनाव से पहले ही बिहार में नितीश की सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही जाने लगी थी। इसलिए यह तथ्य सामने आने लगा था कि नितीश सरकार इस बार सत्ता में नहीं लौटेगी। चुनाव शुरू होने पर जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के गठबंधन की तस्वीर सामने आई तो यह स्पष्ट होने लगा कि नितीश सरकार बचाव की मुद्रा में है। जबकि विपक्ष का गठबंधन हमलावर मुद्रा में है। इसका कारण यह है कि नितीश की 15 वर्षों की सरकार द्वारा ऐसा कुछ नहीं किया गया जिससे प्रभावित होकर बिहार की जनता उन्हें चौथी बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए उतावली है। 


जहाँ तक बिहार विधानसभा चुनाव का संबंध है यह ऐसे समय हो रहा है जिसने राज्य में भाजपा के समर्थन से चल रही नितीश सरकार के सामने बहुत कठिनाईयाँ खड़ी कर दी हैं। इन कठिनाईयों में कोरोना महामारी से और अभी हाल में आई प्रलयकारी बाढ़ से निपटने में नितीश सरकार की पूरी तरह से विफलता शामिल है। इन दोनों मुद्दों पर बिहार की जनता नितीश सरकार से बहुत नाराज़ है और अब इसे कतई बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। नितीश सरकार द्वारा देशभर में काम कर रहे बिहार के मज़दूरों को लॉकडाउन के कारण बिहार वापस आने वाले मज़दूरों को लाने में कोई दिलचस्पी ना दिखाने के कारण भी बिहार के लोग नितीश सरकार से बहुत ही ख़फा हैं। ऐसी स्थिति में नितीश सरकार के 15 वर्षों की सरकार द्वारा बिहार के विकास के लिए कोई उल्लेखनीय काम ना किया जाना भी नितीश सरकार के लिए महंगा पड़ रहा है। इस चुनाव में 15 वर्ष की अपनी सरकार के कामों के बारे में कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाना नितीश के लिए मुश्क़िल हो रहा है। अगर कोई जवाब है तो यह है कि उनकी सरकार ने बिहार में पक्की सड़कें बनवा दी जिसके परिणामस्वरूप लोग अब 10 घंटे की यात्रा 5 घंटे में तय कर लेते हैं। बिजली की ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि अब हर गाँव में बिजली उपलब्ध है। इन सबसे बढ़कर राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है जिसके नतीजे में हर प्रकार के अपराध पर अंकुश लग गया है। अब राज्य में लोग रात में भी बिना खौफ़ आ जा सकते हैं। इन तीनों उपलब्धियों को नितीश कुमार अपनी इतनी बड़ी उपलब्धी मान रहे हैं जिसके लिए वह नोबेल पुरस्कार की कामना करते हैं अर्थात इन तीनों उपलब्धियों के आधार पर वह चौथी बार सत्ता में वापस लाए जाने की अपील कर रहे हैं लेकिन बिहार की जनता बदलाव के मूड में है क्योंकि वह बिहार का समग्र विकास चाहती है जिसपर नितीश सरकार की 15 वर्ष की सरकार द्वारा ध्यान ही नहीं किया गया। इन समस्याओं को हल करने का वादा आरजेडी महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव कर रहे हैं जिनकी ओर बिहार की जनता बहुत ज़्यादा आकर्षित है। जिन्हें लोग बिहार का उगता हुआ सूरज मान रहे हैं जो बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के अँधेरे को दूर कर उन्नति और प्रगति का प्रकाश लाएंगे। 


यद्यपि मोदी और नितीश द्वारा तेजस्वी महागठबंधन पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगा रहे हैं और बिहार की जनता को गुमराह करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। इनके हमलों में जो बात प्रमुखता से शामिल है उनमें तेजस्वी के सत्ता में आने पर दोबारा जंगलराज कायम हो जाने, भ्रष्टाचार का फिर बोलबाला हो जाने, तेजस्वी की सरकार चलाने की अनुभवहीनता से बिहार का विकास ठप हो जाने और परिवारवाद के बढ़ जाने का आरोप शामिल है। इन आरोपों को बिहार की जनता समझ रही है और इन्हें खोखला मान रही है। यही कारण है कि अब तक की तेजस्वी की चुनावी रैलियों में बिहार की जनता की जो भीड़ नज़र आ रही है वह तेजस्वी की लोकप्रियता को साबित कर रही है। बिहार की जनता बदलाव की बात कर रही है क्योंकि वह नितीश और भाजपा की मिलीजुली निष्क्रिय सरकार से बहुत ज़्यादा नाराज़ है और अब वह इस सरकार को बिलकुल भी बर्दाश्त करने के हक़ में नहीं है। मोदी और नितीश के जंगलराज की वापसी वाले हमले का यह जवाब दिया जा रहा है कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को सत्ता से 15 वर्ष तक दूर रखकर सज़ा दी जा चुकी है और इस सज़ा से आरजेडी ने सबक सीखा है। ऐसी स्थिति में तेजस्वी यादव को एक बार अवसर अवश्य देना चाहिए। क्योंकि यह आरोप लगाना गलत है कि तेजस्वी अपने पिता लालू प्रसाद यादव की तरह ही भ्रष्ट होंगे और बिहार में जंगलराज वापस लाएंगे। वह युवा है और राजनीति में अपनी लंबी पारी खेलने के इच्छुक हैं। ऐसी स्थिति में वह बिहार की जनता की आशाओं और उमंगों को सामने रखकर सरकार चलाएंगे और बिहार को विकास और उन्नति के रास्ते पर ले जाएंगे। जो 15 वर्ष के नितीश सरकार के दौरान संभव नहीं हो पाया है और इस सरकार से आगे भी इसकी संभावना नहीं है। क्योंकि नितीश और भाजपा की मिलीजुली सरकार की नज़र में बिहार के लोगों को सड़क, पानी, बिजली की सुविधाओं को उपलब्ध कराना ही विकास की चरम सीमा है। ऐसी सोच रखने वाला मुख्यमंत्री और उनकी सरकार से बिहार के विकास और उन्नति की उम्मीद नहीं की जा सकती है। जहाँ तक मोदी का सवाल है वह फ्लॉप प्रधानमंत्री साबित हो चुके हैं। उनके अब तक के 6 साल के शासनकाल में विकास और उन्नति की क्या दशा है इससे सारा देश जान रहा है? देश में ऐसा विफ़ल प्रधानमंत्री अब तक नहीं देखा गया। ऐसा विफ़ल प्रधानमंत्री बिहार की जनता को विकास के सपने दिखा रहा है। जिसको बिहार की जनता भरोसे के लायक नहीं मान रही है। वें अब भरोसा कर रहे हैं तो तेजस्वी यादव पर जो युवा है ऊर्जावान हैं और बिहार को विकास के रास्ते पर ले जाने का विचार रखते हैं। इन्हें विश्वास ही नहीं बल्कि यकीन है कि तेजस्वी यादव के आने पर बिहार की किस्मत बदलेगी।




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