आज इस्लामी महीने के तीसरे महीने (रबिउल अव्वल) की 12 तारीख़ है और इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था। जिन्हें मोहसिन-ए-इंसानियत (मानवता पर उपकार करने वाले) के तौर पर जाना जाता है। इसका कारण यह है कि जब पैगंबर मोहम्मद साहब दुनिया में आए, तो उस समय दुनिया बुराइयों के घोर अंधकार में डूबी हुई थी। मारकाट, लूटपाट, आबरूरेज़ी (महिलाओं से बलात्कार), झूठ, दग़ा, फ़रेब, धोख़ा, घृणा, नफ़रत, अशांति और अन्याय का माहौल था। उस समय इंसानियत सिसक रही थी। लेकिन इसके इस हाल पर किसी को कोई परवाह नहीं थी। धर्म और नैतिकता का अंत हो चुका था और 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' का राज था। ऐसे दौर में पैगंबर मोहम्मद साहब का आगमन हुआ और वो सभी प्रकार की बुराइयों को समाप्त कर सभी प्रकार की अच्छाइयों का प्रकाश बनकर उभरे। उन्होंने इंसानियत को उसका भूला हुआ सबक सिखाया जिससे दुनिया में इंसानियत फिर जिंदा हुई और उसका सफ़र आज तक ज़ारी है।
पैगंबर मोहम्मद साहब अल्लाह के संदेशवाहक थे, ये इस्लाम कहता है। अल्लाह के संदेशवाहक होने के नाते उन्होंने इंसानियत को उन सभी सच्चाइयों का संदेश दिया, जो इंसानियत के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। इस्लाम के अनुसार उनके संदेश उनके मन की उपज नहीं हैं बल्कि वें ईश्वर द्वारा बताए गए संदेश हैं, जिन पर चलकर मानवता की भलाई ही भलाई है। इस्लाम का दावा है कि इस्लाम के संदेशों पर चलकर दुनिया में हमेशा शांति, अमन, चैन, भाईचारा, प्यार व मोहब्बत, प्रगति, उन्नति, विकास और खुशहाली का दौर लाया जा सकता है।
- रोहित शर्मा विश्वकर्मा
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