Thursday, February 27, 2020

प्रसिद्ध पत्रकार अनिल नरेंद्र पद्म विभूषण पुरस्कार के हकदार।

"डेली प्रताप" राष्ट्रीय उर्दू दैनिक, "वीर अर्जुन" राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक, "सांध्य वीर अर्जुन" दैनिक हिन्दी, लम्बे समय से समाज की सेवा कर रहे हैं। इन तीनों अख़बारों के ग्रुप एडिटर आज अनिल नरेंद्र हैं। उन्होंने जो कुछ लिखा उसका समाज पर प्रभाव पड़ा। पत्रकारिता की दुनिया से वो लम्बे अरसे से जुड़े हुए हैं। इन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी पत्रकारिता में गुज़ारी। इनके दादाजी महाशय कृष्ण ने 1919 में लाहौर (पाकिस्तान) से "डेली प्रताप" उर्दू अख़बार निकाला और देश के बंटवारे के बाद दिल्ली आए और प्रताप अख़बार के लिए आईटीओ नई दिल्ली में एक भवन का निर्माण करवाया जो प्रताप भवन के नाम से जाना जाता है। यहां पर यह ज़िक्र करना अनुचित नहीं होगा कि "डेली प्रताप" उर्दू की आयु आज 100 वर्ष की हो गई है। स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ''डेली प्रताप" अख़बार में काम कर चुके हैं। और शहीद भगत सिंह जेल से अपनी चिट्ठियां "डेली प्रताप" में छपवाने के लिए भेजते थे। महाशय जी के देहांत के बाद उनके बेटे कुँवर नरेंद्र जो के. नरेंद्र के नाम से जाने जाते हैं "डेली प्रताप" उर्दू, के संपादक बने और अभी हाल तक जब इनका देहांत हुआ इसे चलाते रहे। इसके बाद अनिल नरेंद्र इसके संपादक बने और अभी भी इसको चला रहे हैं। इस दौरान अनिल नरेंद्र ने "सांध्य वीर अर्जुन" और " दैनिक वीर अर्जुन" अख़बार भी निकाला। इन्होंने पत्रकारिता के उच्च आदर्शों को अपनाया और हमेशा सच के रास्ते पर चले। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री  स्वर्गीय राजीव गांधी से इनके करीबी संबंध थे लेकिन इन्होंने इस संबंध का कभी भी गलत इस्तेमाल नहीं किया। इसके बावजूद इन्होंने राजीव गांधी के पद का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए नहीं उठाया। अर्थात इन्होंने पत्रकारिता के नाम पर धन बटोरकर अपने अख़बार को उद्योग में नहीं बदला। पत्रकारिता के मैदान में अपनी नि:स्वार्थ सेवा के लिए वो पद्म विभूषण पुरस्कार के लिए हक़दार हैं। वास्तव में आज़ादी के बाद से देश की सत्ता संभालने वाली सभी सरकारों ने इस परिवार की बहुमूल्य सेवा को नज़रअंदाज़ किया और इस परिवार को पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाज़ने के बारे में सोचा तक नहीं। अब मौजूदा मोदी सरकार को इसपर सोचना चाहिए और अनिल नरेंद्र को पद्म विभूषण पुरस्कार से सुशोभित करना चाहिए।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा

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