Thursday, February 27, 2020

महिला सशक्तिकरण पर आरएसएस का बयान दिखावा है!

इन दिनों महिलाओं के सशक्तीकरण पर आमतौर पर बातचीत की जाती है। भारत सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कानून बनाए हैं जिसके नतीजे में महिलाओं की स्थिति वास्तव में बदली है और बहुत सारी महिलाओं को तरक्की करते हुए देखा जा रहा है। देश की आधी आबादी के सशक्तिकरण का सिलसिला यही नहीं रुका है बल्कि यह जारी है और इस सिलसिले में नए कानून लगातार बनाए जा रहे है।

24 सितंबर, मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने महिलाओं के सशक्तिकरण के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए पुरुषों को जगाना (प्रबोधन) जरूरी है। आरएसएस प्रमुख का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण समझा जा रहा है क्योंकि आरएसएस महिला विरोधी समझी जाती थी। अब आरएसएस को महिलाओं के मुद्दे पर प्रगतिशील समझा जाता है। वास्तव में मोहन भागवत का यह बयान प्रशंसनीय है। जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे देश में महिलाएं पुरुषों के बराबर का हक का फायदा काफी लम्बे समय से उठा रही हैं। अब तक सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उठाया गया कदम अधूरा रहेगा जब तक संसद और सिद्धांत सभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का कानून नहीं बनता। यद्यपि सभी राजनीतिक पार्टियां इस बिल पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं लेकिन वे इस बिल को संसद से पारित कराने का समर्थन नहीं करती। अगर मोहन भागवत महिलाओं का वास्तव में सशक्तिकरण चाहते हैं तो इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मोदी सरकार आरएसएस के दबाव में काम करती है, यह एक खुली हकीकत है। मोदी सरकार को लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत हासिल है और राज्यसभा में भी इसे अच्छा बहुमत हासिल है, इसलिए मोदी सरकार इस बिल को संसद के दोनों भवनों से आसानी से पास करा सकती है जिस तरह इसने तीन तलाक बिल को संसद से पास करा लिया है जबकि कई विपक्षी दल इस बिल के खिलाफ थे। अगर मोहन भागवत वास्तव में चाहते हैं कि संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का बिल पारित हो तो उन्हें मोदी सरकार पर दबाव डालना चाहिए। आपको याद होगा कि मोहन भागवत और आरएसएस ने तीन तलाक बिल को संसद से पारित कराने की उग्र वकालत की थी क्योंकि वो तीन तलाक प्रथा को मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार समझते थे। यह अफसोस की बात है कि सरकार महिलाओं संसद में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का बिल अभी तक पारित नहीं करा सकी है जबकि इस बिल को संसद से पारित कराने का सही वक्त है। मोहन भागवत जी इस मामले में भी आप उसी तरह की दिलचस्पी लें जिस तरफ आपने तीन तलाक प्रथा पर पाबंदी लगवाने की दिलचस्पी ली थी।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा

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