Thursday, February 27, 2020

क्या केजरीवाल मोदी को एक बार फिर बौना बना देंगे?

अब जबकि दिल्ली विधानसभा चुनाव के होने में मात्र 1 दिन बाकी रह गया है फिर भी किसी पार्टी के यहां सत्ता में आने का स्पष्ट संकेत नहीं मिल रहा है। यहां के विधानसभा चुनाव में तीन पार्टियां चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आज़मा रही हैं इनमें सत्ताधारी 'आम आदमी पार्टी' (आप), 'भारतीय जनता पार्टी' (भाजपा) और 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी' (आईएनसी) हैं। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी पिछले 5 सालों के दौरान अपने द्वारा किए गए कामों के बल पर यह चुनाव लड़ रही है जबकि भाजपा ये चुनाव आप सरकार की नाकामियों को उजागर कर ये चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस पार्टी 15 साल की शीला दीक्षित सरकार के दौरान हुए विकास कार्यों को याद दिला कर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।

जहाँ तक आप पार्टी की सरकार का संबंध है इसके बारे में दिल्लीवासियों की आमतौर में यह राय है कि आप सरकार द्वारा ऐसी बहुत सी उपलब्धियां दिल्लीवालों को उपलब्ध कराई गई हैं जो इससे पहले की सरकारों द्वारा नहीं कराए गए हैं जैसे कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा उल्लेखनीय काम किए गए हैं। आप सरकार द्वारा यहां के सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को पब्लिक स्कूलों की शिक्षा के स्तर तक पहुँचाया गया है। इसके अलावा आप सरकार ने गरीब बच्चों के दाखिले को प्राइवेट स्कूलों में सुनिश्चित कराया है। इस सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधन पर दबाव डालकर गरीब तबके के बच्चों की एक निश्चित प्रतिशत में दाखिले का प्रबंध किया गया है। इसके द्वारा दिल्ली में बिना रुकावट 24 घंटे बिजली की आपूर्ति और दिल्लीवासियों को साफ पीने के पानी का प्रबंध कराया गया है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में केजरीवाल सरकार ने अस्पतालों की खराब स्थिति को बेहतर बनाया और यहाँ मरीजों को दवाओं की आपूर्ति की स्थिति को बेहतर बनाया। न सिर्फ ये बल्कि मरीजों को ज़्यादा से ज़्यादा स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की कोशिश की गई। इस सरकार की स्वास्थ्य क्षेत्र में सबसे उल्लेखनीय सुविधाएं यें है कि इसके द्वारा दिल्लीवासियों को उनके दरवाजे तक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 'मोहल्ला क्लीनिक' की स्थापना की गई। यहां यह बात याद रखने योग्य है कि 'मोहल्ला क्लीनिक' की स्थापना की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा और सराहना की गई। यह सरकार दिल्ली के आधारभूत ढाँचे के विकास में भी पीछे नहीं है। यद्यपि इस सरकार द्वारा कोई नया फ्लाईओवर नहीं बनवाया गया फिर भी दिल्ली में मुख्य सड़कों और गलियों की सड़कों के निर्माण पर काफी ध्यान दिया गया। इस सरकार के तहत दिल्ली के हर कोने को रौशन बना बना दिया गया जिसके नतीजे में दिल्ली में अपराध के ग्राफ में कमी आई है जैसे चेन झपटमारी, महिलाओं से संबंधित अपराध और सेंधमारी आदि के अपराध में काफी कमी आई है। केजरीकल सरकार द्वारा पूरी दिल्ली में 1.5 लाख सीसीटीवी केमरों की स्थापना ने दिल्ली में संगीन अपराधों की रोकथाम में बड़ी भूमिका निभाई है। इस सरकार द्वारा किया गया यह काम काफी प्रशंसनीय और सराहनीय है। केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली की महिलाओं को डीटीसी बस में मुफ्त सेवा उपलब्ध कराई गई है जो भविष्य में भी लागू रहेगी। इसके अलावा इस सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त तीर्थ यात्रा की सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। दिल्लीवासी मुक्त कंठ से यह भी स्वीकारते हैं कि अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा पहली बार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन उपलब्ध कराया जा रहा है। केजरीवाल सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही इन सारी सुविधाओं ने दिल्ली के लोगों का दिल जीत लिया है इसलिए वें इस सरकार की प्रशंसा का रहे हैं। यही कारण है कि केजरीवाल अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों का रिपोर्ट कार्ड पेश करके यह चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव में वों 10 प्रमुख सेवाओं को उपलब्ध कराने की गारंटी दे रहे हैं। और यह सभी 10 सेवाएं रोज़मर्रा के जीवन से संबंधित हैं।             

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्लीवासी उनकी सरकार के कामों के आधार पर उनकी पार्टी का जोरदार तरीके से समर्थन कर रहे हैं। जिसके नतीजे में उनकी पार्टी एक बार फिर सत्ता में आएगी।

दूसरी बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी है जो यहां पिछले 20 वर्षों से सत्ता से बाहर रहकर चुनाव लड़ रही है। यद्यपि 2015 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में इसके द्वारा कांग्रेस के हाथ से  सत्ता छीनने की कोशिश की गई थी। इस बात का उल्लेख यहाँ अप्रसंगिक नहीं होगा कि भाजपा यह विधानसभा चुनाव ऐसी स्थिति में भी हार गई जबकि पूरे देश में मोदी के करिश्मे का बोल बाला था जिसके नतीजे में इनकी पार्टी भाजपा को लोकसभा चुनाव में ज़बरदस्त चुनावी सफलता मिली थी। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के एक शक्तिशाली राजनीति के नेता के तौर पर उभरे थे जिन्हें देश की जनता ने भारी बहुमत दिया था और भारत के इतिहास में पहली बार भाजपा को अकेले बहुमत प्राप्त हुआ था। यह स्थिति भाजपा को दिल्ली का विधानसभा चुनाव जीताने में मददगार साबित नहीं हुई और केजरीवाल ने भारी अंतर से जीतकर मोदी को बौना बना दिया था। अब जबकि मोदी की करिश्माई छवि मद्धम हो रही है जिसके नतीजे में अभी हाल में कई विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है तो ऐसी स्थिति में भाजपा का दिल्ली विधानसभा के जीतने की कोई संभावना नहीं है। ऐसी स्थिति में दिल्ली विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है जिसे जीतने के लिए बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। जहाँ तक चुनावी मुद्दों का संबंध है तो भाजपा  के पास मतदाताओं को आकर्षित करने का कोई मुद्दा नहीं है। अपने चुनावी घोषणा पत्र में पार्टी ने दिल्लीवासियों को 2 रुपये प्रति किलो के दाम से दिल्लीवासियों को 'आटा' देने का वादा किया है। यह वादा पार्टी को चुनाव जीताने में कितना मददगार साबित होगा? यह तो वक्त ही बताएगा। वास्तव में पार्टी सांप्रदायिक मुद्दों को लेकर वोटों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रही है और यह ध्रुवीकरण 'शाहीन बाग' में महिलाओं के प्रदर्शन को लेकर किया जा रहा है जो 'नागरिकता संशोधन कानून' (सीएए) को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले 50 दिनों से 'शाहीन बाग' में धरने पर बैठी हुई हैं। लेकिन भाजपा 'शाहीन बाग' की महिलाओं के प्रदर्शन को 'राष्ट्रविरोधी' बता रही है और मतदाताओं से इसके खिलाफ अपने पक्ष में मतदान करने की मांग कर रही है। पार्टी दिल्ली में होने वाली अपनी सभी रैलियों (लगभग 5000) में यह बताने का प्रयास कर रही है कि 'शाहीन बाग' के प्रदर्शन का मकसद देश को तोड़ना है। वास्तव में केंद्र की मोदी सरकार 'शाहीन बाग' के प्रदर्शन को खत्म कराना नहीं चाहती। जैसा कि इसने ऐलान किया है कि वो 'नागरिकता संशोधन कानून' (सीएए) के अपने स्टैंड से एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी और 'शाहीन बाग' के प्रदर्शनकारियों से कोई बातचीत भी नहीं करेगी। भाजपा चाहती है कि ये प्रदर्शन जारी रहे ताकि वो इसका चुनावी फायदा उठा सके। चूंकि भाजपा जानती है कि उसके द्वारा दिल्ली चुनावी प्रचार के दौरान जो मुद्दें उठाए जा रहे हैं वो मतदाताओं को आकर्षित करने में सक्षम नहीं है। चुनाव के नतीजे बताएंगे कि भाजपा की यह सोच कितने सच थी? दिल्ली के मतदाताओं की आम भावना ये संकेत देती है कि दिल्ली के चुनाव के नतीजे के खेल में कोई बदलाव नहीं होगा। अर्थात भाजपा यहां चुनाव जीतकर सत्ता हासिल करने में नाकाम रहेगी। भाजपा की हार का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि इसने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा तक नहीं की। ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाल छवि को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ेगा। जिसके नतीजे में विशाल छवि वाले मोदी का कद मुख्यमंत्री केजरीवाल के सामने बौना हो जाएगा। यह बात यहाँ याद रखने योग्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मोहल्ला क्लीनिक' की स्थापना को दिल्लीवासियों के लिए गैर-लाभदायक बता रहे हैं जो दिल्ली के बाहर इस उद्देश्य से जाते हैं और वहां वो गंभीर तौर से बीमार हो जाते हैं क्योंकि इनका मुफ्त उचित इलाज दूसरे राज्यों के अस्पतालों में नहीं हो पाता। इस प्रकार 'मोहल्ला क्लीनिक' उन दिल्लीवासियों के लिए लाभदायक साबित नहीं होता। अगर ये दिल्लीवासी 'आयुष्मान भारत योजना' से जुड़े होते तो उन्हें दूसरे गज्यों के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उचित चिकित्सा सेवा का लाभ उपलब्ध होता। केजरीवाल सरकार ने 'आयुष्मान भारत योजना' को लागू न करके दिल्लीवासियों को इस योजना के लाभ को हासिल करने से वंचित किया है। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकुचित विचार है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 'आयुष्मान भारत योजना' को लागू न करके दिल्लीवासियों का भारी नुकसान किया है और ये आरोप लगाया है कि केजरीवाल सरकार ने 'आयुष्मान भारत योजना' को दिल्ली में न लागू कर एक बड़ा पाप किया है।

कांग्रेस पार्टी भी पूरे दमखम से दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ रही है ये यहां के मतदाताओं को हर क्षेत्र में विकास करने का वादा कर रही है। इस संबंध में वो मतदाताओं को स्व. शीला दीक्षित के नेतृत्व में चलने वाली 15 वर्षों की सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों की याद दिला रही है जिसके दौरान सभी क्षेत्रों में विकास कार्य हुए और आज भी ये विकास कार्य दिल्ली में नजर आ रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि दिल्ली में आज जो भी विकास कार्य नजर आ रहा है वो सब 15 वर्ष की स्व. शीला दीक्षित सरकार की देन है।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा


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