Thursday, February 27, 2020

क्या मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर हमला यहां की दौलत लूटने के लिए किया था?

आमतौर से ये बात समझी जाती है कि मुस्लिम शासक मूर्तिभंजक थे। इसके अलावा उन्होंने भारत की दौलत लूटी और यहां के लोगों का जबरन धर्म-परिवर्तन कराकर उनको मुसलमान बनाया। भारत पर मुस्लिम आक्रमणकारियों का हमला 711 ई० में मोहम्मद-बिन-कासिम के हमले से शुरू हुआ। उस वक्त सिंध भारत का सरहदी क्षेत्र था जो एक समृद्धशाली राज था। मोहम्मद-बिन-कासिम ने 711 ई० में सिंध पर हमला किया और यहां के राजा दाहिर (कश्मीरी ब्राह्मण) को हराकर अरब साम्राज्य स्थापित किया। सिंध पर मोहम्मद-बिन-कासिम के हमले का कारण अरब के दो बागियों को राजा दाहिर द्वारा खलीफ़ा सुलेमान-बिन-अब्द-अल-मलिक को सुपुर्द ना किया जाना था। ये दोनों अरबी बागी सिंध में शरण लिए हुए थे। इससे खलीफ़ा सुलेमान-बिन-अब्द-अल-मलिक बहुत क्रोधित हुआ और उसने मोहम्मद-बिन-कासिम को सिंध पर हमले के लिए भेजा दिया जो सिर्फ 17 वर्ष का था। उसे सिंध पर हमले के लिए उसे 10 हज़ार सिपाहियों की एक फौज दी गई जबकि राजा दाहिर के पास दो लाख से ज़्यादा सिपाहियों की फौज मौजूद थी। जब मोहम्मद-बिन-कासिम सिंध के करीब पहुंचा तो राजा दाहिर के बौद्ध प्रजा ने मोहम्मद-बिन-कासिम से मुलाकात की और उसे राजा दाहिर को हराने का तरीका बताया क्योंकि राजा दाहिर ने उन्हें (बौद्ध प्रजा को) दूसरे दर्जे का नागरिक बना रखा था। इस प्रकार 10 हज़ार सिपाहियों की फौज के साथ मोहम्मद-बिन-कासिम का राजा दाहिर की 2 लाख से ज़्यादा सिपाहियों पर आधारित फौज़ की भिड़ंत हुई जिसमें राजा दाहिर मारा गया और सिंध पर मोहम्मद-बिन-कासिम का कब्ज़ा हो गया। सिंध के पतन के बाद तीन दिनों तक नरसंहार चलता रहा जिसमें अनगिनत स्थानीय लोग मारे गए। इससे ज़ाहिर होता है कि राजा दाहिर की बौद्ध प्रजा उनसे काफी नाराज़ थी और वो इनके शासन का खात्मा चाहती थी। इसके अलावा कुछ ब्राह्मण प्रजा भी राजा दाहिर से इसलिए नाराज़ थे क्योंकि उन्होंने दो ज्योतिषियों के कहने पर अपनी सगी बहन माई रानी से इसलिए विवाह किया कि सिंध पर उनका शासन बरकरार रहे परन्तु उन्होंने अपनी बहन के साथ पति-पत्नी का रिश्ता नहीं स्थापित किया। उनका छोटा भाई दाहरसेना इस विवाह से इतना क्रोधित हुआ कि उसने एक फौज लेकर राजा दाहिर के किले पर धावा बोल दिया लेकिन वो कामयाब नहीं हुआ और किले के बाहर ही बीमार होकर मर गया।

यह बात दिलचस्प है कि जिन दो ज्योतिषियों ने राजा दाहिर को सिंध पर अपना शासन बरकरार रखने के लिए अपनी बहन से शादी करने की सलाह दी थी लेकिन वें सिंध पर मोहम्मद-बिन-कासिम के हमले की भविष्यवाणी करने में असमर्थ थे। ये बात याद रखने योग्य है कि मोहम्मद-बिन-कासिम इस्लाम का प्रचारक नहीं था बल्कि वह एक सैनिक था इसलिए उसने सिंध में इस्लामी राज स्थापित करने की कोशिश नहीं की। मोहम्मद-बिन-कासिम दृढ़ चरित्र वाला आदमी था। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि सिंध पर कब्ज़ा करने के बाद राजा दाहिर की दो बेटियों को उसने खलीफ़ा सुलेमान-बिन-अब्द-अल-मलिक के पास भेज दिया जहां इन लड़कियों ने खलीफ़ा से ये झूठ कहा कि वे खलीफ़ा के हरम के लायक नहीं हैं क्योंकि मोहम्मद-बिन-कासिम ने उनको पहले ही अपने भोग विलास का शिकार बना लिया है। ये कहानी सुनकर खलीफा सुलेमान-बिन-अब्द-अल-मलिक ने मोहम्मद-बिन-कासिम की गिरफ़्तारी का आदेश जारी कर दिया और इस तरह मोहम्मद-बिन-कासिम को यातनाएं देकर मार दिया गया। मोहम्मद-बिन-कासिम दो वर्ष तक सिंध में रहा और वहां अपना शासन चलाया। जब खलीफ़ा सुलेमान-बिन-अब्द-अल-मलिक को राजा दाहिर की बेटियों के झूठ का पता चला तो उसने इन दोनों को दीवार में चिनवा दिया। इससे ज्ञात होता है कि खलीफ़ा सुलेमान-बिन-अब्द-अल-मलिक एक बीमार दिमाग वाला व्यक्ति था जो सही फैसला लेने में असमर्थ था।

सभी एतिहासिक तथ्य बताते हैं कि मोहम्मद-बिन-कासिम ने जबरन धर्म परिवर्तन नहीं कराया और गैर-मुस्लिम प्रजा को अपनी आस्था के मुताबिक पूजा करने की इजाज़त थी। ना सिर्फ ये बल्कि नए मंदिरों के निर्माण की अनुमति थी और किसी भी मंदिर को जिसमें मुल्तान का सूर्य मंदिर भी शामिल था जिसको नहीं तोड़ा गया। बहरहाल मंदिरों से सोना और जेवरातों को मंदिरों से हटाकर खलीफा के पास भेज दिया गया। मोहम्मद-बिन-कासिम ने सिंध में अपना शासन चलाने के लिए बौद्धों और ब्राह्मणों की सहायता ली और उसने अपनी गैर-मुस्लिम प्रजा को ज़िम्मी का दर्जा दिया जो संरक्षित जनता होती है और मुस्लिम शासन को स्वीकार करती है और बदले में ज़जिया देने को तैयार रहती है। अपने शासन के दौरान मोहम्मद-बिन-कासिम ने सिंध की आर्थिक उन्नति के लिए काम किया और कई नए शहर बसाए।

ये संक्षिप्त इतिहास बताता है कि मोहम्मद-बिन-कासिम कोई लुटेरा नहीं था। इसके बजाय इतिहास ये बताता है कि वो एक  'अच्छा शासक' था जो सभी धर्मों का सम्मान करता था। अंत में ये नतीजा निकाला जा सकता है कि मोहम्मद-बिन-कासिम ने भारत पर हमला इसकी दौलत लूटने के लिए नहीं किया था बल्कि अपने दो वर्ष के शासन के दौरान यहां की अर्थव्यवस्था को विकसित किया।

मैंने ये पोस्ट अपनी पहली एक पोस्ट पर किसी के द्वारा ये टिप्पणी किए जाने पर लिखा कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर हमला इसकी दौलत लूटने के लिए किया। इसके अलावा उन्होंने यहां के मंदिरों को तोड़ा और लोगों को जबरन धर्मपरिवर्तन कराकर मुसलमान बनाया।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा
                                     

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