प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके लेफ्टिनेंट अमित शाह ने दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। इसके बावजूद उन्हें अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा और अब वें अपने ज़ख्मों को चाट रहे होंगे। अब यह समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए गंभीरता से सोचने के लिए है कि किस तरह अरविंद केजरीवाल को भविष्य में हराया जाए? हम सब ने देखा कि चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने शाहीन बाग़ के मुद्दे को पूरी ताकत से उठाकर दिल्ली के वातावरण का किस तरह धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण किया? वास्तव में दिल्ली में चुनावी मुद्दों को धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण का प्रयास दिल्ली में सफल नहीं हुआ। यह बात 2015 के विधानसभा चुनावों में साबित हुई और यही बात इस बार के विधानसभा चुनावों में भी साबित हुई। इसलिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए यह स्पष्ट सबक है कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव सांप्रदायिक मुद्दों के आधार पर नहीं जीता जा सकता। अगर केंद्र की भाजपा सरकार ने लोगों के लिए हितकारी काम किए होते और उनका दिल जीता होता तो निश्चय ही दिल्ली वाले भाजपा को चुनाव में अपना समर्थन देते जिसके नतीजे में पार्टी दिल्ली में सत्ता में पहुंचती। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार का एक प्रमुख कारण यह भी है कि दिल्ली नगर निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसके अलावा पार्षदों द्वारा कोई विकास कार्य नहीं किए गए। यह बात स्मरणीय है कि दिल्लीवासियों ने विधानसभा चुनावों के दौरान दिल्ली नगर निगम द्वारा विकास कार्य न किए जाने की खुलकर आलोचना की। इसके विपरीत केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जीता क्योंकि उन्होंने 2015 में चुनाव के दौरान दिल्ली की जनता से जो वादे किए थे उसे पूरा किया। उन्होंने इस चुनाव में दिल्लीवासियों से और चुनावी वादे किए जिसपर दिल्ली वालों ने उनपर भरोसा किया और उन्हें फिर सत्ता में ले आए। जनता की भावनाओं को सम्मान देना अच्छी राजनीति का संकेत है। केजरीवाल ने यह किया और इसकी बुनियाद पर फिर सत्ता में आए। अब जबकि वो इस तथ्य को जान गए हैं तो उम्मीद की जाती है कि वो मतदाताओं की भावनाओं को नजरअंदाज करने की गलती नहीं करेंगे। केजरीवाल की छवि ऐसे राजनीतिज्ञ की उभरी है जो शेखी नहीं बघारता बल्कि काम करता है। यही कारण है कि केजरीवाल को मतदाताओं ने भारी समर्थन दिया और उन्हें सत्तासीन किया। हम सबको उम्मीद है कि केजरीवाल ने चुनाव जीतने का जादू जान लिया है और इसलिए वो इसे भूलेंगे नहीं और भविष्य में मतदाताओं की भावनाओं का सम्मान करते रहेंगे।
- रोहित शर्मा विश्वकर्मा
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