Thursday, February 27, 2020

क्या भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की कहानी सच है?

अभी हाल में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने देश की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज हमारी अर्थव्यवस्था पिछले 70 वर्षों के मुकाबले सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। इसी तरह मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने सरकार से आर्थिक वृद्धि के विचार से असहमति प्रकट करते हुए अपना इस्तीफ़ा दे दिया। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफ़े की कहानी भी इस तरह की है। इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने भी आर्थिक वृद्धि पर सरकार के विचारों से असहमति जताते हुए इस्तीफ़ा दे दिया था। सरकार की जीएसटी पॉलिसी और नोटबंदी पर असहमति जताते हुए आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी अपना पद छोड़ दिया था। सरकार के उन उच्च पदों पर रहने वालों का आर्थिक वृद्धि से संबंधित सरकारी विचार से असहमति जताते हुए इस्तीफ़ा दिया जाना ये बताता है कि आर्थिक वृद्धि की सरकारी कहानी में सच्चाई नहीं है। आर्थिक वृद्धि के लिए ज़रूरी है रोज़गार के अवसर का बढ़ना है लेकिन मोदी सरकार के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर नहीं बढ़े हैं। इसके विपरीत इस सरकार के कार्यकाल के दौरान रोज़गार के अवसर कम हुए हैं और बेरोज़गारी बढ़ी है। इसका उदाहरण यह है कि अभी हाल में रेलवे द्वारा 63000 नौकरियों की भर्ती के लिए भर्ती का ऐलान किया था। इसके लिए 1 करोड़ 90 लाख लोगों ने आवेदन दिया था। इसके अतिरिक्त ऑटोमोबाइल सेक्टर में 10 लाख लोग नौकरी से हटाए जाने वाले है क्योंकि कंपनियों की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी वादा किया था कि वो हर वर्ष 1 करोड़ नौकरियों की व्यवस्था करेंगे लेकिन इनका वादा सच साबित नहीं हुआ। दरअसल आर्थिक वृद्धि तभी होती है जब सरकार में अच्छे अर्थशास्त्री मौजूद होते हैं और अच्छे अर्थशास्त्री मोदी सरकार में नहीं पाए जाते हैं। एक अच्छा अर्थशास्त्री देश की आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण  भूमिका निभाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वर्गीय अरुण जेटली को अपना वित मंत्री बनाया जो  पेशे से एक वकील थे और उन्हें अर्थशास्त्र का कोई ज्ञान नहीं था। इसी तरह प्रधानमंत्री ने निर्मला सीतारमण को अपना वित्त मंत्री बना लिया और इन्हें भी अर्थशास्त्र का कोई ज्ञान नहीं है। ऐसी स्थिति में हर आम आदमी ये कल्पना कर सकता है कि हमारी अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो सकती है क्या। अगर सरकार आर्थिक वृद्धि चाहती है तो उसके लिए एक अच्छा अर्थशास्त्री चाहिए और यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाए और हमारा देश जापान (4.97 ट्रिलियन डॉलर) को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी आर्थिक ताकत बन जाए। जबकि बीजेपी के किसी भी नेता में ऐसी योग्यता नहीं है।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा


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