Thursday, February 27, 2020

बीजेपी की नज़र में देशभक्ति।

हर देश का नागरिक खुद को देशभक्त कहलाना चाहता है। कोई भी अपने को गद्दार कहलाना नहीं चाहता है। क्योंकि हर नागरिक अपने देश से मुहब्बत करता है और देश के लिए मर-मिटने के लिए तैयार रहता है। इसलिए अगर किसी को गद्दार कहा जाता है तो ये किसी के लिए बहुत बड़ी गाली समझी जाती है। परन्तु आज क्या देशभक्ति है और क्या गद्दारी है ये मतभेद का विषय बन गया है। हमारे देश में देशभक्ति से संबंधित बहुत से मामलों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के बीच मतभेद पाया जाता है। उदाहरण के तौर पर "वंदे मातरम" कहना बीजेपी के लिए देशभक्ति है जबकि धर्मनिरपेक्ष पार्टियां इसके विरोध में है। इसी तरह कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने को बीजेपी देशभक्ति का कदम बताती है।   

गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार, 22 सितंबर को महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करना बीजेपी की नज़र में देशभक्ति का कदम है और कांग्रेस की नज़र में यह देशभक्ति नहीं बल्कि राजनीतिक मुद्दा है। वास्तव में अनुच्छेद 370 को कश्मीर से खत्म किए जाने का विरोध कांग्रेस के साथ सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां कर रहीं है। अमित शाह ने संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने का सभी धर्मनिरपेक्ष दलों के विरोध का ज़िक्र नहीं किया है और सिर्फ कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाया है। शायद वो ये बताना चाहते हैं कि सिर्फ कांग्रेस संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने का विरोध कर रही है। अमित शाह द्वारा दिया गया बयान बहुत चालाकी से दिया गया है ताकि देश की जनता सच्चाई न जान सके। वो यह दिखाना चाहते हैं कि कांग्रेस के अलावा अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने का विरोध कोई और पार्टी नहीं कर रही है। बीजेपी की यह सोच बहुत खतरनाक है। ये देशभक्ति को अपने विरोधियों को खामोश करने के लिए एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। यही कारण है कि देश का मुसलमान बीजेपी की नज़र में देशभक्त नहीं है क्योंकि वो हर मामले में बीजेपी का विरोध करते हैं।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा


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