Thursday, June 11, 2020

प्रवासी मज़दूरों के पलायन पर मीडिया कवरेज से मोदी सरकार घबराई।






अब भी देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी मज़दूरों का पलायन जारी है। जबकि रेलवे ने दावा किया है कि इसके द्वारा 'स्पेशल श्रमिक' ट्रेनों को चलाकर लगभग 56 लाख प्रवासी मज़दूरों को उनके शहरों तक पहुँचाया है। अब मोदी सरकार और रेलवे विभाग इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि सभी प्रवासी मज़दूरों को उनके शहरों तक पहुँचाने का काम पूरा कर लिया गया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि लगभग 4 करोड़ उन प्रवासी मज़दूरों को यातना, दुख, कष्ट और मुसीबत झेलने के लिए छोड़ दिया गया जो पैदल ही अपने शहरों तक पहुँचने के लिए निकल पड़े। आज भी इन प्रवासी मज़दूरों को देश के विभिन्न हिस्सों में सड़कों पर पैदल सफ़र करते हुए देखा जा सकता है। वास्तविकता यह है कि मोदी सरकार लॉकडाउन से उत्पन्न होने वाली समस्या की कल्पना ही नहीं कर सकी। इससे यह बात निकलकर आती है कि मोदी सरकार इन प्रवासी मज़दूरों को देश के विभिन्न हिस्सों से निकालकर उनके शहरों तक पहुँचाने की योजना कैसे बना सकती थी? इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार ने लॉकडाउन लगाने के लिए कोई योजना नहीं बनाई।

देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी मज़दूरों का इतनी भारी संख्या में पलायन ऐतिहासिक हो गया है। हमारे इतिहास में इस तरह की किसी और घटना का उल्लेख नहीं मिलता है। अगर कोई ऐसा उल्लेख मिलता है तो वह भारत के बँटवारे के समय आबादियों के स्थानांतरण की घटना है। जब लगभग 1.5 करोड़ लोग भारत से पाकिस्तान गए और पाकिस्तान से भारत आए। लेकिन प्रवासी मज़दूरों के स्थानांतरण की घटना देश के बँटवारे के बाद हुई आबादियों के स्थानांतरण की घटना से भिन्न है। प्रवासी मज़दूरों का देश के विभिन्न हिस्सों से पलायन मोदी सरकार की अकरमता का नतीजा है। वास्तव में कोरोना महामारी ने दुनिया के सामने यह सच पेश कर दिया कि मोदी सरकार इस समस्या से निपटने में अयोग्य है। इसका कारण यह है कि सरकार चलाने वालों में वैज्ञानिक सोच बिल्कुल नहीं पाई जाती है। इसका सबूत यह है कि प्रधानमँत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं यह कहा है कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए योग और आयुर्वेद का सहारा लिया जाए। जब प्रवासी मज़दूरों के पलायन का दृश्य दुनिया के सामने आने लगा तब मीडिया का ध्यान इधर आकर्षित हुआ और इसके द्वारा इसका विस्तार से कवरेज किया गया जिसने सर्वोच्च न्यायालय के जजों का ध्यान आकर्षित किया और उन्होंने इस मामले को अपने संज्ञान में लेकर केंद्र सरकार को नोटिस भेजा कि वह बताए कि सड़कों पर पैदल चल रहे प्रवासी मज़दूरों की मदद के संबंध में उसने क्या कदम उठाए हैं? केंद्र सरकार की ओर से अदालत में पेश होकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार के पक्ष को रखते हुए प्रवासी मज़दूरों के संबंध में सरकार की ओर से उठाए गए कदम की जानकारी दी। सॉलिसिटर जनरल प्रवासी मज़दूरों के पलायन की घटना को मीडिया द्वारा विस्तृत कवरेज दिए जाने पर बहुत क्रोधित थे। उन्होंने मीडिया को गिद्ध बताया और कहा कि मीडिया घटनाओं को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करता है। उनकी नज़र में प्रवासी मज़दूरों पर मीडिया कवरेज से केंद्र सरकार की छवि खराब हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के सॉलिसिटर जनरल द्वारा रखे गए सरकार के पक्ष से यह इशारा मिलता है कि मोदी सरकार मीडिया द्वारा प्रवासी मज़दूरों के बारे में की गई विस्तृत रिपोर्टिंग से घबरा गई है क्योंकि मोदी सरकार यह समझती है कि इसने मोदी प्रकार की छवि को दुनिया को यह बताकर कलंकित किया है कि मोदी सरकार लॉकडाउन से उत्पन्न हुई परिस्थितियों से निपटने में पूरी तरह असफ़ल हुई है। यह बात यहाँ स्मरणीय है कि पहले की किसी भी सरकार ने किसी मुद्दे पर की गई मीडिया रिपोर्टिंग पर आपत्ति नहीं जताई क्योंकि वें लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के संवैधानिक अधिकार का सम्मान करती थीं। इसके विपरीत मोदी सरकार द्वारा किसी भी संवैधानिक संस्था का सम्मान नहीं किया जा रहा है। इसलिए इसमें लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के खिलाफ़ अपने विचार को खुलकर व्यक्त कर दिया है। जनता में यह खबर बहुत गर्म है कि अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जीतती है और मोदी के नेतृत्व में सरकार बनती है तो देश में हमेशा के लिए लोकतंत्र का खात्मा कर दिया जाएगा। इसके सबूत में अमित शाह का यह बयान उल्लेखित किया जाता है कि भाजपा देश पर 2050 तक राज करेगी। इस प्रकार के विचारों को रखने वाली मोदी सरकार देश के लोकतांत्रिक ढाँचे को नुकसान पहुँचाने के लिए कुछ भी कर सकती है।

अब कोरोना महामारी देश में बहुत तेजी़ से फैल रही है जिसके नतीजे में भारत दुनिया के उन 6 देशों में शामिल हो गया है जो कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित है और अगर कोरोना महामारी के फैलने का यह रुझान जारी रहा तो जून के अंत तक देश में इससे भयावह स्थिति पैदा हो सकती है। यह बहुत आश्चर्यजनक बात है कि मोदी सरकार ने लॉकडाउन को 'अनलॉक' करने का फैसला किया है जबकि कोरोना महामारी का फैलाव बहुत ही खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी का फैलाव भारत में अभी 'पीक' (चरम) पर नहीं पहुँचा है। इस भविष्यवाणी को सामने रखकर कोई भी अक्लमंद आदमी लॉकडाउन को 'अनलॉक' करने के मोदी सरकार के फैसले को न्यायोचित नहीं ठहराएगा क्योंकि यह कोरोना महामारी को देश में बहुत तेज़ी से फैलने का आमंत्रण दे रहा है। यही कारण है कि हमारे देश में जून के अंत तक 20 से 22 लाख तक कोरोना पॉज़िटिव केस होने की भविष्यवाणी की जा रही है। हम सभी देख रहे हैं कि मोदी सरकार कोरोना महामारी को नियंत्रण करने के लिए कोई खास कदम नहीं उठा रही है। ऐसी स्थिति में हमारे देश में कोरोना महामारी की कैसी भयावह स्थिति होगी यह तो भविष्य ही बताएगा।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा 

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