Tuesday, June 2, 2020

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार जैसे बहरूपिये से मुसलमान होशियार रहे!



आरएसएस प्रचारक और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने हाल के अपने एक ब़यान में तब़लीगी ज़मात पर यह आरोप लगाया है कि भारत में कोरोना महामारी को विध्वंसक स्थिति तक पहुँचाने में इसकी मुख्य भूमिका है। इसने कहा कि भारत में कोरोना का फैलाव तब़लीगी ज़मात के कारण हुआ। उल्लेखनीय है कि जब तब़लीगी ज़मात के मरकज़ पर सरकारी छापा पड़ा तो उस समय मरकज़ में लगभग 3,000 मुसलमान थे और उन्हें वहाँ से निकाला गया। इनमें से 1800 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे और सभी को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में क्वारंटीन कर दिया था। कुछ मरकज़ पर छापे से पहले बाहर आ गए थे और इधर-उधर छुप गए थे। बाद में वे भी पकड़े गए और क्वारंटीन में रख दिए गए। उस समय भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की कुल सँख्या 40-42 हज़ार थीं। अब कोरोना से संक्रमित लोगों की  सँख्या 1 लाख 82 हज़ार हो गई है और हर रोज़ इस सँख्या में 5 से 7 हज़ार की बढ़ोतरी हो रही है। अगर इसी रफ़्तार से यह संख्या बढ़ती रही तो चँद दिनों में देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की सँख्या 2 लाख हो जाएगी। आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार यह बताए कि कोरोना संक्रमित मरीजों की यह सँख्या तब़लीगी ज़मात के कारण पहुँची है? और यही सवाल मोदी के उन चाटुकार चैनलों से भी है जो भारत में कोरोना महामारी के फैलने के लिए तब़लीगी ज़मात को ज़िम्मेदार ठहरा रहे थे? इंद्रेश कुमार को क्या यह हकी़कत नहीं मालूम है कि मरकज़ पर छापा पड़ने से कई दिनों पहले मरकज़ के ज़िम्मेदारों ने अपने मरकज़ पर मौजूद 3000 लोगों की सूचना दे दी थी और उनके निकाले जाने की व्यवस्था किए जाने को कहा था। यह सब रिकॉर्ड में मौजूद है लेकिन अधिकारियों द्वारा इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया। अंत में मरकज़ पर छापा मारकर तब़लीगी ज़मात को ख़लनायक बना दिया गया और मीडिया से यह प्रचार करा दिया गया कि तब़लीगी ज़मात के लोगों से भारत में कोरोना महामारी बहुत ज़्यादा फैली।

अब जबकि कोरोना महामारी मज़दूरों के पलायन से बेहिसाब बढ़ रही है तो आरएसएस का यह नेता अपनी ज़बान क्यों नहीं खोल रहा है? क्या यह गूँगा, बहरा और अँधा हो गया है कि उसे कोरोना महामारी के तेज़ी से फैलाव की जानकारी नहीं मिल रही है? वास्तव में आरएसएस नेता होने के कारण इंद्रेश कुमार देश के मुसलमानों का कभी हितैषी हो ही नहीं सकता। इसलिए वह मुसलमानों के खिलाफ़ झूठा प्रचार करने में पीछे नहीं रहता है। यह बात देश का मुसलमान अच्छी तरह जानता है। इंद्रेश कुमार ने मुसलमानों की सोच को बदलने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बना रखा है। इसमें कुछ 'मु़नाफ़िक़' मुसलमान शामिल हैं जो इंद्रेश कुमार की 'हाँ में हाँ' मिलाते हैं। इन 'मुनाफ़िक' मुसलमानों में किसी का यह साहस नहीं होता है कि वह इंद्रेश कुमार का विरोध करे। वास्तव में 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' के यह मुनाफ़िक़ मुसलमान इस संगठन में इसलिए शामिल हुए हैं कि वह इंद्रेश कुमार के ज़रिए सरकारी फ़ायदा उठा सकें। आरएसएस का यह बहरूपिया नेता मुसलमानों की जड़ काटने में लगा हुआ है जिसका समर्थन 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' के मुसलमान करते रहते हैं। इस बहरूपिये द्वारा मुसलमानों से संबंधित कई मामलों पर अभियान चलाया गया जिनमें तीन तलाक़ और बाबरी मस्जिद-राम मंदिर का मुद्दा शामिल है। यह दोनों मामले अदालत में विचाराधीन थे और इन दोनों मामलों पर अदालत द्वारा फैसला दिया जा चुका है। लेकिन इंद्रेश कुमार द्वारा इन दोनों पर अभियान चलाए जाने के दौरान मुसलमानों की खूब जड़ खोदी गई। जहाँ तीन तलाक़ मामले की इसने अपने मुनाफ़िक़ मुसलमानों द्वारा कटु आलोचना कराई और तलाक़ की व्यवस्था को अमान्य बताया गया। वहीं राम मंदिर मुद्दे पर इसने राम को मुसलमानों का पूर्वज बताया। इसलिए उनसे राम मंदिर निर्माण का समर्थन करने पर जो़र दिया। दूसरे शब्दों में उसने देश के मुसलमानों को हिंदू बताने की बात कही और उनके मुनाफ़िक़ मुसलमान इसके इस बक़वास पर चुप्पी साधे रहे। इसी के साथ आरएसएस का यह बहरूपिया देश के मुसलमानों को 'घर वापसी' के लिए जो़र देता रहता है अर्थात वह इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म पुनः स्वीकार कर लें। जिन मुसलमानों को अपना दीन और मज़हब प्यारा है वें इसके करीब तक नहीं आते और मुनाफ़िक़ मुसलमान इसको घेरे रहते हैं।

- रोहित शर्मा विश्वकर्मा 

7 comments:

  1. Rohit babu! Bilkul sahi disha mey likha ha. To pehley aaiye RSS ke baarey mey samjhey.

    RSS Vichardhaara- Rashtriye Swayamsevak Sangh as in English " National Volunteer Organisations " jo Bhartiye Vichardhaara ki raksha karneywali sena hai jo Hindutva matlab Hindu Rashtr ka smarthan karta hai aur Bhartiye sanskriti ki raksha aur ooski vridhi ke liye pratibadh hai.
    Lekin yeh ek hi prerna se prabhaawit hai sirf Hindutva ko mazboot karna. Jiskey kaaran British rule ke khilaaf swatantrta sangarsh mey RSS ney koi yogdaan nahi diya.
    Gandhi Vichardhaara ka kabhi smarthan nahi kiya. Kyunki Hindu aur Muslim Gandhi Vichardhaara ke maadhyam se hi angrezo ko Bharat se khaderna chahti thi jo yeh Hedgewar ko hazam nahi hui.
    Hedgewar chahtey thai ki Yadi RSS British rule ke saath miley to wo Hidutva ko Bharat mey isthaapit ker saktey hai.
    RSS ney 1925 mey British rule ke favor mey jaana pasand kiya phir RSS ney Bharat ke shaktishaali Hinduo ko bharti karney ki moohim shuru kar di ek kraantikari vichaar ke saath lekin British rule ke saath jaaney ki wajah se kuch shaktishaali Hinduo ko nagwaar laga lekin RSS British rule se zood gayi thi aur British police ney RSS sena ke sennay parshikshan shuru kar diya aur dress code bhi laagu ker diya black cap, khaaki shirt aur nikkar saath mey ek lathi.
    Aur Hedgwar ki iss prerna ka srot V.D.Sarwakar hai. Hedgewar aur Sarwakar ki pehli moolaqat 1925 mey Ratnagar prison mey hui thi. Hedgwar pehli hi moolaqat mey bahut prabhavit hue aur yehi se oopej hui RSS organisation ki.
    1927 mey Scholar Christopher Jaffrelot ke anoosaar Hedgewar ney apney sidhanto ki poonarvyakhya ki aur oosko apnaaker Hindutva vistaar ke liye shakhaao ke nirmaan ka kaam shuru kiya.
    Lekin British rule se haath milaney per aur swatantrta ke sangarsh mey RSS ke yogdaan nahi dene per Bhartiye logo aur vipaksh ney RSS ko European agency ghoshit ker diya.

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  2. Established Of RSS - 27 September 1925, Nagpur.
    Founder- Keshav BaliRam Hedgewar

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  4. Itihaas mey 3 mookhaye kaaran Bharat mey RSS per pratibandh laganey kai-
    1. Pehla kaaran hum sab jaantey hai 30 January 1948 ko Nathu Ram Godsey dwara Mahatama Gandhi ki hatya. Godsey ko 15 Nov 1949 ko court dwara death penalty.

    2. 1975-77 mey aapaatkaal ke dauraan RSS per partibandh laga kyunki yeh samay Bharat ka bahut hi naazook daur raha kyunki bahut badey level per "nasbandi abhiyaan" chala jiska netrtav PM Indira Gandhi ke putr Sanjay Gandhi ker rahe thai.
    3. 1992 mey RSS per partibandh jab Ayodhya mey Babri Masjid ka vidhwans kiya.

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  5. Ab hum America aur ooski jasoosi sanstha FBI ka drishtikorn dekh lete hai FBI ke anoosaar RSS faasiwaad ka smarthan karta hai aur oosko badaawa deta hai aur terrorist funding mey involve mey raha hai.
    FBI ka maanna hai ki RSS ko 44 mey se 39 european desho se fund milta hai jiska oopyog Bharat mey dhaarmik tanaav ke liye prayog hota hai.
    FBI ke anoosaar RSS ki shaakha Bharat mey hi nahi varan videsho mey bhi hai jaisey ki Kenya, Mauritius, Finland, France, Italy, Denmark, Norway, Netherland etc.

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  6. RSS neta ya yeh bhi keh saktey European agency ke agent Indresh Kumar Hindu aur Muslim ke beech tanaav ootpan karney ka mookhaye kaaran bantey jaa rahe hai. Jismey maukaparast musalmaan bhi apna niji faayda dekh rahe hai jiskey kaaran Tabligi Jamaat ke muddey ko apni dhaal bana rahe hai kehney ka matlab "Kahi pe nigaahey Kahi pe nishaana" Tabligi Jamaat ko bich mey laana anoochit hai. Iski aard mey kewal maukaparast musalmaan apna labh dekh rahe hai jo Indresh Kumar ke saath milker samaaj ko shati aur jiwan ka hanan karna chahtey hai.

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  7. Covid19 ko leker Congress ke mahasachiv Rahul Gandhi ney February ke pehle haftey mey hi PM Modi aur Sarkaar ko aagaah kiya thaa leki sarkaar US president Donald Trump ki Bharat yatra ko leker kaafi vyast rahe aur chetawani ko halkey mey liya.
    Jiska Khaamiyaza Bharat ko aarthik nooksaan aur logo ke swasthey ko khatrey mey daalker chookana padega.
    PM Modi aur Sarkaar ki galti ko badey lambey samay tak bhoogatana padega balki Bharat aarthik roop se 40 saal picchey chala gaya jyonki ek chinta ka vishay hai.
    Yadi samay rehte Rahul Gandhi ki chetawani per kayawaahi ho jaati to yeh sab naubat nahi aati.

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