Monday, August 31, 2020

गोदी मीडिया चाहती है कि रिया ख़ुदकुशी कर ले।





फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से उनकी प्रेमिका रिया चक्रवर्ती के बारे में गोदी मीडिया ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के लिए इन्हें ज़िम्मेदार ठहराने का अभियान चला रखा है। इसी के साथ उनके द्वारा यह भी बताया जा रहा है कि रिया चक्रवर्ती ने सुशांत सिंह राजपूत का पैसा लूटा। इन दो बिंदुओं को लेकर गोदी मीडिया प्रतिदिन नए-नए एंगल से स्टोरी चला रहे हैं और अपनी 'खोजी' पत्रकारिता का भौंदा प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमें झूठ और बेबुनियाद बातों का प्रयोग कर रिया चक्रवर्ती पर खतरनाक से खतरनाक हमला किया जा रहा है जिसका मकसद यही समझ में आ रहा है कि गोदी मीडिया रिया चक्रवर्ती को ख़ुदकुशी करने के लिए मजबूर कर रही है क्योंकि पिछले 75 दिनों से जिस प्रकार गोदी मीडिया रिया चक्रवर्ती के खिलाफ अपना अभियान चला रही है जिसके कारण कोई भी व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खोकर ख़ुदकुशी करने के लिए मजबूर हो सकता था लेकिन यह रिया चक्रवर्ती की हिम्मत और साहस है कि वह इस गोदी मीडिया के इस अत्यंत खतरनाक हमले को सहन कर रही है।


याद रहे कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से गोदी मीडिया ने ऐसी हास्यास्पद ख़बरें चलाई हैं जो बेबुनियाद और झूठी साबित होती जा रही है लेकिन इससे उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। इसके बावजूद यह अपने दर्शकों में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ नफरत फैलाने वाली ख़बरें प्रतिदिन प्रसारित कर रहे हैं। अपने प्रतिदिन के प्रसारण में इनका इशारा सिर्फ और सिर्फ रिया चक्रवर्ती होती है जिसका मकसद रिया चक्रवर्ती को सुशांत सिंह राजपूत की मौत का ज़िम्मेदार ठहराना होता है। पिछले 75 दिनों से गोदी मीडिया द्वारा मीडिया ट्रायल के ज़रिए रिया चक्रवर्ती को सुशांत सिंह राजपूत की मौत का आरोपी सिद्ध कर दिया गया है और इस प्रकार मीडिया तक इसको पहुँचने से वंचित कर इस मामले में उसको सफाई देने का भी मौका नहीं दिया जा रहा है। गोदी मीडिया इस मामले को इस प्रकार पेश कर रही है कि जैसे सुशांत सिंह राजपूत की मौत एक अभिनेता की मौत नहीं बल्कि देश के कोई सबसे बड़े राजनातिक, सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों से संबंधित अत्यंत लोकप्रिय व्यक्ति की मौत का मामला है जिसकी ज़िम्मेदार फिल्मों में काम करने वाली एक तुच्छ अभिनेत्री है। जहाँ तक रिया चक्रवर्ती का सुशांत सिंह राजपूत की मौत के लिए ज़िम्मेदार होने का संबंध है इसका खुलासा विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा हो जाएगा। लेकिन जिस प्रकार गोदी मीडिया द्वारा इस मामले को उठाया जा रहा है कि इनके पास कोई मुद्दा नहीं है या जानबूझकर देश की जनता से संबंधित ज्वलंत मुद्दों की नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। इन मुद्दों में देश की अर्थव्यवस्था के चौपट हो जाने, करोड़ों लोगों के बेरोज़गार हो जाने देश के विकास के ठप हो जाने और कोरोना महामारी के बेलगाम हो जाने की समस्या शामिल है। इन ज्वलंत मुद्दों को इनके द्वारा इसलिए नहीं उठाया जा रहा है कि ऐसा करने से मोदी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार कठघरे में खड़ी होगी और मोदी सरकार की अलोकप्रियता का जुलूस निकलेगा। गोदी मीडिया द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों से कोई भी जागरूक नागरिक और दर्शक को यह समझना मुश्किल नहीं होता है जिनका मकसद सुशांत सिंह राजपूत जैसे मामले को प्रसारित कर दर्शकों को मोदी सरकार की विफलताओं, नाकामियों और कमियों को सामने आने से रोकना है जबकि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता का सबसे बड़ा सबूत यह है कि भारत की 130 करोड़ जनता में से 80 करोड़ लोग भिखारी बन चुके हैं जिनके 2 वक़्त के खाने का प्रबंध मोदी सरकार द्वारा प्रतिमाह 5 किलो चावल या 5 किलो आटा और 1 किलो चना उपलब्ध कराया जा रहा है। देश की यह स्थिति इतनी भयावह है जिस पर गोदी मीडिया कोई खबर या कोई रिपोर्ट नहीं प्रसारित करता है। अच्छे दिन लाने का नारा देकर सत्ता में आने वाली सरकार ने देश को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया है जहाँ पहुंचने का किसी ने विचार भी ना किया होगा। दिलचस्प बात यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन देश को आर्थिक स्थिति और विकास के चौपट होने और 80 करोड़ लोगों के भिखारी बन जाने के लिए ईश्वर को ज़िम्मेदार ठहरा रही है। भारत दुनिया का पहला देश है और इसकी पहली वित्त मंत्री हैं जो देश की मौजूदा स्थिति के लिए ईश्वर को ज़िम्मेदार ठहरा रही है जबकि कोरोना महामारी से विश्व के सभी देश इस महामारी से लड़ रहे हैं और अपनी जनता को ज़्यादा से ज़्यादा सुविधाएं प्रदान कर उन्हें सम्मानजनक जीने का अवसर प्रदान कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी जनता से प्यार है। निर्मला सीतारमन जैसी वित्तमन्त्री ने देश की मौजूदा स्थिति के लिए ईश्वर को ज़िम्मेदार ठहराकर केंद्र सरकार को अपने दायित्व से पलड़ा झाड़ने का इशारा किया है। ऐसी वित्त मंत्री जो वित्त मामले में विशेषज्ञ नहीं है उसके द्वारा ऐसी ही ऊटपटांग बातें करने की आशा की जा सकती है लेकिन वित्त मंत्री ने यह ऊटपटांग बातें ना सिर्फ इनको आलोचना का केंद्र बनाती हैं बल्कि इससे पूरी मोदी सरकार की छवि धूमिल होती है और यह संदेश देती हैं कि मोदी सरकार अयोग्य लोगों की सरकार है जो अपनी कमियों, नाकामियों और विफलताओं के लिए ईश्वर को ज़िम्मेदार ठहरा रही है। इन सब बातों पर गोदी मीडिया आँख मूंदे हुए है और देश की जनता की समस्याओं को उठाने का अपना कर्तव्य भूलकर मोदी सरकार की चाटुकारिता में लगी हुई है। 


सुशांत सिंह राजपूत को जिस तरह गोदी मीडिया अपनी रिपोर्टों में पेश कर रही है उससे लगता है कि सुशांत सिंह राजपूत कोई भला व्यक्ति था और उसमें मानवीय विशेषताएं पाई जाती थी। वह होनहार था, पढ़ा-लिखा था, घर के लोगों से प्यार करने वाला था, सगे-संबंधियों से रिश्तों को निभाने वाला था। इसकी इन कथित अच्छाइयों को गोदी मीडिया प्रसारित कर नहीं थक रही है और अपने दर्शकों में सुशांत सिंह राजपूत के प्रति सहानुभूति की लहर पैदा करने का काम कर रही है जबकि रिया चक्रवर्ती को हत्यारी और लूटेरी बता रही है। वास्तव में गोदी मीडिया इस मामले को आरम्भ से ही जिस तरह पेश कर रही है उसके लिए सुशांत सिंह राजपूत को मानवीय गुणों से सुसज्जित कर रिया चक्रवर्ती को वैम्प (खलनायिका) के तौर पर पेश करना आवश्यक है ताकि यह किसी टीवी धारावाहिक की स्क्रिप्ट की तरह इसे जितना चाहें आगे बढ़ाते रहें और सरकार की उस मंशा को पूरा करते रहें कि देश की जनता के सामने सरकार की हर मोर्चे पर विफलता का तथ्य सामने ना आ सके। जहाँ तक सुशांत सिंह राजपूत की मौत का सीबीआई जांच का संबंध है पिछले 10 दिनों से ऐसा कोई खुलासा नहीं हो पाया है जो इस ओर इशारा कर रहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत में रिया का हाथ है। गोदी मीडिया ने इस केस को सुशांत सिंह राजपूत के पिता के. के. सिंह द्वारा पटना में लिखाई गई एफआईआर के बाद से इस केस को विभिन्न दिशाओं में मोड़ दिया है। इस केस में गोदी मीडिया रिया चक्रवर्ती पर सुशांत सिंह राजपूत के करोड़ों रुपयों को लूटने, उसको ज़हर देने और उसको ड्रग्स एडिक्ट बनाने का आरोप लगा रही है और इस प्रकार जांच एजेंसियों को कथित तौर पर सुराग दे रही है जिससे ऐसा लगता है कि जाँच एजेंसियां गोदी मीडिया के आगे जीरो है। इस केस को गोदी मीडिया द्वारा क्या-क्या मोड़ दिया गया इसकी यहाँ झलक प्रस्तुत करना अप्रासंगिक नहीं होगा। आरम्भ में यह कहा गया कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला आत्महत्या नहीं हत्या है जिसमें फिल्म इंडस्ट्री के लोग और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बेटा आदित्य ठाकरे शामिल है। इस बात के उठाए जाने पर महाराष्ट्र की राजनीति गर्म हो गई और उद्धव ठाकरे से इस्तीफे की मांग की जाने लगी। चंद दिनों के बाद यह मामला शांत हो गया तो गोदी मीडिया ने इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराने का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहूंचा तो सर्वोच्च न्यायालय इस तथ्य को भलीभाँति जानते हुए भी सीबीआई से जांच कराने का आदेश दे दिया कि सीबीआई केंद्र की कठपुतली है और वह इस मामले में वही रिपोर्ट देगी जो केंद्र चाहेगी। इस तथ्य के मद्देनजर सुशांत सिंह राजपूत मौत के मामले की सीबीआई जांच का नतीजा जो भी निकलेगा वह राजनीति से प्रेरित ही होगा। इसकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान खड़ा रहेगा। जहाँ तक रिया चक्रवर्ती द्वारा सुशांत के करोड़ों रुपयों को लूटने का आरोप है यह भी दो दिन पहले सुशांत सिंह राजपूत के बैंक अकाउंट के विवरण के सामने आने से झूठ साबित हो गया है। इस विवरण में सुशांत सिंह राजपूत के 70 करोड़ रुपए का उल्लेख है, उसमें साफ़-साफ़ कहा गया है कि सुशांत सिंह राजपूत राजा की तरह रहता था और राजा की तरह पैसा खर्च करता था। इस बैंक अकाउंट में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि रिया चक्रवर्ती को उसने करोड़ों रुपये दिए। इस बैंक अकाउंट के विवरण में रिया चक्रवर्ती पर सिर्फ लाखों रूपये खर्च करने की बात कही गई है। यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि सुशांत सिंह राजपूत रिया चक्रवर्ती के हुस्न में गिरफ्तार था और उसके साथ मुंबई में ही वॉटरस्टोन रिसोर्ट में ही रहता था ताकि कोई दख्लअंदाज़ी ना हो। इस रिसोर्ट में वह हफ़्तों रिया के साथ रहता था इसके अलावा वह रिया चक्रवर्ती के साथ लंदन भी गया और वहां भी वह हफ़्तों उसके साथ रहा। यही नहीं वह भारत में भी रिया के साथ लिव इन पार्टनर के तौर पर रहता था। रिया के हुस्न में गिरफ्तार सुशांत सिंह राजपूत उसे अलग नहीं रखता था। ऐसी स्थिति में अगर उसने रिया पर लाखों रुपए खर्च किए तो यह कोई 'मूल्य' नहीं रखते। मोहब्बत में लोग अपना क्या कुछ नहीं लूटा देते हैं। इतिहास में तो प्रेमिका के लिए राजाओं द्वारा अपने 'तख़्त-व-ताज' छोड़ने तक का उदाहरण देता है। लेकिन गोदी मीडिया सुशांत सिंह राजपूत के करोड़ों रुपयों को लूटने का आरोप लगा रही है। बहरहाल सुशांत सिंह राजपूत के अकाउंट के विवरण के सामने आने से यह बात साफ़ हो गई है कि रिया चक्रवर्ती द्वारा सुशांत सिंह राजपूत का पैसा नहीं लूटा। यह तथ्य गोदी मीडिया के लिए शर्मनाक है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। 


इसी बीच रिया चक्रवर्ती द्वारा व्हाट्सअप पर एक-दो लोगों से गांजे (ड्रग्स) की खरीदारी के बारे में बातचीत का विवरण प्रस्तुत किया गया है और यह बताने का प्रयास किया गया है कि रिया चक्रवर्ती गांजा इस्तेमाल करती है और सुशांत सिंह राजपूत को भी इसका सेवन कराती थी। गोदी मीडिया द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि गांजे के इस्तेमाल से सुशांत सिंह राजपूत डिप्रेशन का शिकार हुआ जो रिया चक्रवर्ती की साजिश थी जबकि रिया चक्रवर्ती का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत ड्रग्स का इस्तेमाल उससे (सुशांत) इसकी मुलाक़ात से पहले कर रहा था। अगर रिया चक्रवर्ती ड्रग्स का इस्तेमाल कर रही है और सुशांत सिंह राजपूत ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहा था तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उस सोसाइटी में जिसमें सुशांत सिंह राजपूत रहता था और रिया चक्रवर्ती अब भी जिसका हिस्सा है उसमें ड्रग्स का सेवन आम है। इसको लेकर जिस प्रकार गोदी मीडिया गला फाड़-फाड़कर अपने दर्शकों को बताने का प्रयास कर रही है कि रिया चक्रवर्ती गैर-कानूनी काम में संलिप्त है। यह बड़ा हास्यास्पद है। अगर जांच की जाए तो गोदी मीडिया के मालिकों और इसके पत्रकारों में कई लोग ड्रग्स का सेवन करते हुए पाए जाएंगे। 'खोजी' पत्रकारिता के नाम पर चरित्र हनन करने वाली गोदी मीडिया यह भी आशंका जता रही है कि रिया चक्रवर्ती द्वारा ड्रग्स की बड़े पैमाने पर स्मगलिंग की जा रही है। रिया चक्रवर्ती पर यह आरोप अत्यंत गंभीर है जो बिना सबूत के लगाए जा रहे हैं और इस संबंध में यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि ड्रग्स के स्मगलिंग के इस मामले में बड़े-बड़े लोगों के नामों का पर्दाफाश होगा। गोदी मीडिया की यह घिनौनी मानसिकता अपने दर्शकों की मानसिकता को भी घिनौनी कर रही है और उन्हें एक 'गिरा हुआ' नागरिक बनाने का प्रयास कर रही है। इस केस के आरम्भ में गोदी मीडिया द्वारा फिल्म उद्योग पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया गया था और इसी को सुशांत सिंह राजपूत की मौत का कारण बताया गया था ऐसी स्थिति में फिल्म उद्योग के कई जाने-माने अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं पर गोदी मीडिया द्वारा ऊँगली उठाई गई थी और उनके ऊपर यह आरोप लगाया गया था कि सुशांत सिंह राजपूत को आगे बढ़ने नहीं देना चाहिए थे इसलिए सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली। इस केस में इस प्रकार फिल्म उद्योग की हस्तियों से मुंबई पुलिस द्वारा 'अपराधियों' की तरह पूछताछ की गई, वह उनके लिए बड़ी शर्मनाक घटना है। ऐसा पहली बार हुआ जब उन्हें पुलिस थाने जाकर पुलिस के सवालों का जवाब देना पड़ा, उससे फिल्म उद्योग हिल गया। गोदी मीडिया द्वारा पिछले 75 दिनों से रिया चक्रवर्ती के खिलाफ झूठे, काल्पनिक और बेहूदा तथ्यों पर आधारित अभियान चलाया जा रहा है। मीडिया ट्रायल पूरी तरह निराधार साबित हो रहा है। इसके बावजूद उन्हें अपनी रिपोर्टिंग पर कोई शर्म नहीं आ रही है। यह गोदी मीडिया देश को जिस अंधकार में ले जा रही है उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं है। सीबीआई और दूसरी एजेंसियों द्वारा इस केस की जो जांच की जा रही है, उसके नतीजे की कल्पना मुश्किल नहीं है। इस केस में सही जांच का जहाँ तक संबंध है यह होना चाहिए था कि सुशांत सिंह राजपूत की अय्याशी का शिकार कितनी लड़कियां बनी क्योंकि गोदी मीडिया द्वारा उसके व्यक्तित्व पर डाले गए अबतक के प्रकाश से यह तथ्य सामने आता है कि सुशांत सिंह राजपूत एक अय्याश व्यक्ति था। छोटे पर्दे से लेकर बड़े पर्दे तक आने के दौरान उसके सम्पर्क में कई लड़कियां आईं जिनमें अंकिता लोखंडे भी शामिल है। सुशांत सिंह राजपूत के संबंध अंकिता लोखंडे से भी बहुत गहरे थे जो उस वक़्त टूट गए जब रिया चक्रवर्ती से सुशांत सिंह राजपूत के संबंध बने। फिल्म उद्योग में आने पर सुशांत सिंह राजपूत को यह लगा कि लड़कियों से संबंध बनाना बहुत आसान है और वह इस संबंध में आगे बढ़ता गया जिसकी आखरी कड़ी रिया चक्रवर्ती है।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा 

Friday, August 14, 2020

देश के गद्दारों को जयचंद की उपमा दी जाती है। क्या जयचंद गद्दार था?


यह बात कैसे और किसने प्रचलित की कि महाशौर्य जयचंद ने अपने तत्कालीन राजा पृथ्वीराज चौहान से गद्दारी कर मोहम्मद गौरी को आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था? इतिहास में ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता की महाप्रतापी राजा जयचंद ने पृथ्वीराज को हरवाने में कोई भूमिका निभाई थी। मुस्लिम आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी की सहायता करने के विपरीत इसने स्वयं मोहम्मद गौरी से युद्ध किया और उस युद्ध में मारा गया। जो लोग जयचंद को मोहम्मद गौरी के हाथों पृथ्वीराज चौहान की हार का कारण मानते हैं उन्हें इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है। ऐसे ही लोगों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के  प्रवक्ता संबित पात्रा शामिल हैं। जिनके द्वारा बुधवार 12/8/2020 को एक खबरिया चैनल आजतक पर आयोजित एक 'डिबेट' में संबित पात्रा द्वारा डिबेट में कांग्रेस की ओर से हिस्सा ले रहे इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव त्यागी को बार-बार जयचंद कहा गया अर्थात गद्दार जिससे उनकी मृत्यु हो गई। संबित पात्रा, उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), अन्य हिन्दू संगठनों और कुछ चैनलों द्वारा मोदी सरकार की आलोचना बर्दाश्त नहीं है। यह चाहते हैं कि मोदी सरकार की कोई आलोचना ना की जाए चाहे मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल ही क्यों ना रहे? यह लोग लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका को नगण्य और मोदी का विरोध करने वालों को राष्ट्रविरोधी, देशद्रोही और देश के गद्दार के रूप में देखते हैं जबकि संविधान केंद्र और राज्य सरकारों के मुखरविरोध का अधिकार देता है। आज अपनी सरकार का विरोध सहन ना करने वाले स्वर्गवासी प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की इसलिए आलोचना करते नहीं थकते कि उनके द्वारा विपक्ष का गला घोटने के इरादे से देश में आपातकाल लगा दिया गया था। क्या मोदी राज में विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाए जाने पर विपक्ष को गद्दार (जयचंद) कहे जाने का कदम देश में आपातकाल लगाने की शुरुआत तो नहीं है? 


किसी को जयचंद कहा जाना एक बहुत बड़ी गाली समझी जाती है क्योंकि इसका अर्थ यह होता है कि जयचंद कहा जाने वाला व्यक्ति देश का गद्दार है अर्थात किसी को सीधे गद्दार ना कहकर उसे जयचंद कह दिया जाता है। तो सवाल उठता है कि क्या जयचंद देश का गद्दार था? क्योंकि उसने पृथ्वीराज चौहान से अपनी निजी दुश्मनी के कारण मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था। इस संबंध में इतिहास में कोई प्रमाणित सत्य नहीं मिलता है। इतिहासकार आर. सी. मजूददार (अन्सिएंट इंडिया) के अनुसार इस कथन में कोई सत्यता नहीं है कि महाराज जयचंद ने पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए मोहम्मद गौरी को आमत्रित किया हो। इसी तरह यही बात जे. सी. पोवल ने अपनी पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया' में लिखा है कि पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण करने के लिए मोहम्मद गौरी को आमंत्रित नहीं किया था। एक अन्य इतिहासकार डॉ० राम शंकर त्रिपाठी कहते हैं कि जयचंद पर यह आरोप गलत है क्योंकि समकालीन मुसलमान इतिहासकार इस बात पर पूर्णतया मौन है कि जयचंद ने ऐसा कोई निमंत्रण भेजा हो। इतिहासकार महेंद्र नाथ मिश्र का कहना है कि यह धारणा कि मुसलमानों को पृथ्वीराज पर चढ़ाई करने के लिए जयचंद ने आमंत्रित किया, निराधार है। उस समय के कतिपय ग्रन्थ प्राप्य है किन्तु किसी में भी इस बात का उल्लेख नहीं है। पृथ्वीराज विजय, हमीर महाकाव्य, रम्भा मंजरी, प्रबंध कोश व किसी भी मुसलमान यात्री के वर्णन में ऐसा उल्लेख नहीं है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि जयचंद ने चंदावर में मोहम्मद गौरी से शौर्यपूर्ण युद्ध किया था। तत्कालीन मुस्लिम इतिहासकार इब्न नसीर ने अपनी पुस्तक 'कामिल उल तारीख' (पूर्ण इतिहास) में लिखा है, "यह बात नितांत असत्य है कि जयचंद ने शहाबुद्दीन गौरी को पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया। शहाबुद्दीन गौरी अच्छी तरह जानता था कि जब तक उत्तर भारत में महाशक्तिशाली जयचंद को परास्त ना किया जाएगा दिल्ली और अजमेर आदि भू-भागों पर किया गया अधिकार स्थायी ना होगा क्योंकि जयचंद के पूर्वजों ने और स्वयं जयचंद ने तुर्कों से अनेकों बार मोर्चा लेकर हराया था।" अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया नामक इतिहास विषयक पुस्तक में इतिहासकार स्मिथ ने इस आरोप का कहीं उल्लेख नहीं किया है। डॉ राजबली पाण्डे ने अपनी पुस्तक प्राचीन भारत में लिखा है, "यह विश्वास कि गौरी को जयचंद ने पृथ्वीराज के विरुद्ध निमंत्रण दिया था, ठीक नहीं जान पड़ता क्योंकि मुसलमान लेखकों ने कही भी इसका ज़िक्र नहीं किया है।"

जहाँ तक जयचंद की पृथ्वीराज से शत्रुता के आधार पर पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए मोहम्मद गौरी को आमंत्रित करने की बात की जाती है वह भी नितांत काल्पनिक है। पृथ्वीराज से जयचंद की शत्रुता का कारण इसकी पुत्री संयोगिता का पृथ्वीराज द्वारा अपहरण कर लिया जाना बताया जाता है इस शत्रुता के कारण जयचंद ने पृथ्वीराज पर कई बार हमला किया और परास्त हुआ। लेकिन शोधकर्ता इतिहासकारों ने इस कहानी को मानने से इंकार कर दिया क्योंकि उनका कहना है कि संयोगिता नाम की जयचंद की कोई पुत्री ही नहीं थी इसलिए संयोगिता हरण की बात पूरी तरह झूठी साबित होती है। हाँ! हो सकता है कि उनके बीच के आपसी मतभेदों की कोई और वजह रही हो, लेकिन उससे संबंधित कोई दस्तावेज भी इतिहास में नहीं मिलता। इसके अलावा जिस बात को लेकर राजा जयचंद को देशद्रोही कहा जाता है यानी गौरी को भारत पर आक्रमण का न्यौता देने वाला तथ्य से संबंधित कोई प्रमाणित लेख नहीं है। मोहम्मद गौरी के पहले आक्रमण के समय तराईन में जो युद्ध हुआ उस समय पृथ्वीराज ने इस युद्ध में उनका साथ देने के लिए जयचंद के अलावा दूसरे राजाओं को युद्ध के लिए आमंत्रित किया। ऐसे में तराईन के पहले युद्ध में जयचंद की कोई भागीदारी नहीं रही। इस युद्ध में पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को परास्त कर दिया। मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए जब दूसरी बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया तब भी पृथ्वीराज ने जयचंद से मदद नहीं मांगी और पृथ्वीराज की दूसरे तराईन युद्ध में मोहम्मद गौरी से भिड़ंत हुई। इस युद्ध में पृथ्वीराज अपनी 3 लाख की सेना और मोहम्मद गौरी अपनी 1 लाख 20 हज़ार की सेना के साथ एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे। आरम्भ में पृथ्वीराज का पलड़ा भारी पड़ रहा था लेकिन मोहम्मद गौरी के घुड़सवार दस्तों के आने के बाद पृथ्वीराज की सेना कमज़ोर हुई और मोहम्मद गौरी के सैनिकों द्वारा पृथ्वीराज की सेना में शामिल हाथियों पर तीरों से हमला किए जाने के कारण हाथियों में भगदड़ मच गई और उन्होंने पृथ्वीराज के हज़ारों सैनिकों को कुचलकर मार दिया। हाथियों की इस भगदड़ का गौरी की सेना ने लाभ उठाया और पृथ्वीराज को परास्त कर बंदी बना लिया गया जिनकी बाद में हत्या कर दी गई। 

जयचंद से संबंधित उक्त ऐतिहासिक तथ्य यह कहीं नहीं बताते कि जयचंद ने पृथ्वीराज या भारत के साथ गद्दारी की। अगर जयचंद ने पृथ्वीराज को हराने में मोहम्मद गौरी की मदद की होती तो मोहम्मद गौरी द्वारा तीसरी बार भारत आने के बाद कन्नौज पर आक्रमण ना किया जाता जहाँ जयचंद का राज था। कन्नौज पर आक्रमण के समय जयचंद का मोहम्मद गौरी से युद्ध हुआ जिसमें जयचंद मारा गया। यह तथ्य बहुत स्पष्ट इस बात की ओर संकेत करता है कि जयचंद ने मोहम्मद गौरी की कोई मदद नहीं की और मोहम्मद गौरी ने अपनी सेना के बलबूते पर पृथ्वीराज की सेना को पराजित किया। इसलिए जयचंद को किसी भी प्रकार से गद्दार नहीं कहा जा सकता। वह एक पराक्रमी और शक्तिशाली राजा था जिसमें राष्ट्रभक्ति और देशभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई थी। जयचंद को गद्दार कहने वालों को इतिहास का अवलोकन करना चाहिए।



- रोहित शर्मा विश्वकर्मा। 

Tuesday, August 4, 2020

Will the laying down of the foundation stone of Ram Temple on August 5 proved to be a destructive act?

Lastly the date for construction of Grand Ram Temple in Ayodhya at the site of Babri Mosque decided as August 5, 2020. On this day a program of Bhoomi Poojan will be held in which Prime Minister Narendra Modi will participate. On the announcement of the program relating to the Bhoomi Poojan of the Ram Temple, Jagadguru Shankracharya Swami Swaroopanand Saraswati released a statement making it clear that Bhoomi Poojan for the construction of the Ram Temple on August 5, 2020 will prove to be destructive for the nation as the time of laying down of the foundation stone of the Ram Temple is unauspicious because any work which is started in Bhadrapada Month proves to be destructive . Since the laying down of foundation stone of the Ram Temple starts on August 5 which is unauspicious date. Besides Swami Swaroopanand Saraswati, many Sadhus & Saints of Varanasi also consider August 5, 2020 as unauspicious day for the construction of the Ram Temple. Those Sadhus & Saints who are opposing the laying down of foundation stone of Ram Temple on August 5 include Shankracharya Narendranand Maharaj of Sumeru Peeth and Swami Avimukteshwaranand of Varanasi. According to Avimukteshwaranand Swami no construction of the Ram Temple in the month of August can be started. If it is not done according to the religious scriptures it will invite negative results. These voices of opposition against the date of laying down of foundation stone of Ram Temple should be seen as a warning of god for construction of Ram Temple at the site of Babri Mosque because Babri Mosque grabbed in unjust way. 

As far as the Hardcore Hindus of this country are concerned it will be a pleasant moment for them who have been dreaming for a very Grand Ram Temple to be constructed at the site of Babri Mosque in Ayodhya. A good thing for the whole country after pavement of beginning of construction of Ram Temple is the end of atmosphere of hatred and animosity between Hindu & Muslim communities of the country which have claimed a thousands of lives on having being broken out communal riots in different parts of country during last 73 years after beginning of Ram Temple construction movement. Since this decades long dispute has been finally settled, so the Muslim communities accepted the decision of Apex Court as a law abiding community but they are a views that the decision of Supreme Court is not fair. It is the reason that after judgement of Supreme Court in this dispute, a curative petition had been filed by the Muslims in the court in the hope of getting altered its decision. The Apex Court did not entertain the review petition of the Muslim community and rejected it and said that it had thoroughly looked into the matter. So there is no merit for reviewing its decision. Thus the Muslim community was deprived of its right on Babri Mosque by unfair way. They have been calling this decision as unjustice to themselves and has been saying that Allah knows the facts and he shall do justice in this matter at proper time. 

The Muslim community is of the view that all those peoples who had inflicted harm to the Babri Mosque in the past have been punished by Allah. The list of people who have been punished by Allah includes Ex-Prime Minister Rajiv Gandhi, Ex-Prime Minister P. V. Narasimha Rao, Lal Krishna Advani, Murli Manohar Joshi, Uma Bharti, Kalyan Singh (all BJP leaders ). Muslim leaders like Syed Shahabuddin, Zafaryab Jilani, Javed Habib etc. Lt. Rajiv Gandhi was involved in getting unlocked the door of Babri Mosque and getting laid down the foundation stone of the Ram Temple at the disputed site. He had commited a Himalayan blunder in this case which could not be replaced in its original position. World saw the violent death of Rajiv Gandhi. Ex-Prime Minister Narasimha Rao did not take step for stopping demolition of the Babri Mosque when thousands of Kar Sevaks led by Lal Krishna Advani, Murli Manohar Joshi, Uma Bharti etc. attacked the Babri Mosque and demolish it. Narasimha Rao could deploy army around the Babri Mosque for its protection in the wake of attack of Kar Sevaks on it. He was punished by Allah making him an accused of a cheating case which is known as ‘Lakkhu Bhai Pathak Cheating Case’. It was an extraordinary occasion that an Ex-Prime Minister was chargesheeted in a cheating case which had disrobed his respect & honour. Thus he faced irreparable humiliation. Lal Krishna Advani, Murli Manohar Joshi & Uma Bharti have been facing still all kinds of humiliation. They have been facing criminal cases for hatching a conspiracy for demolition of the Babri Mosque. Since Advani is the main culprit in the demolition of the Babri Mosque, he has been punished severly. For launching an ‘Andolan’ for construction of Ram Temple in Ayodhya at the site of Babri Mosque, he had become hero of Hardcore Hindus. Then it was understood that he would be the Prime Minister of India when Bharatiya Janata Party (BJP) government would be installed at the centre . When BJP government was installed at the centre in 1996 with the help of other parties. Thus he was denied the post of Prime Minister for his image of Hardcore Hindu leader. The allies favoured Atal Bihari Vajpayee in  place of Lal Krishna Advani for the post of Prime Ministership. Thus Atal Bihari Vajpayee became the Prime Minister of India while BJP had emerged as the single largest party after the Loksabha elections on the dint of Ram Temple construction movement in Ayodhya launched by Lal Krishna Advani but this movement could not secure Prime Ministership for Advani. This was actually a big flow for Advani which brought humiliation for him. When BJP came into power at the centre in 1998, Advani was again sidelined as Vajpayee was repeatedly made Prime Minister. During the congress rule from 2004 to 2014 went into oblivion and Narendra Modi emerged as hero of ‘Hindutva’ at the national level. In his leadership when BJP contested the Loksabha election in 2014, the Party won clear majority in the election first time and control of the Central Government came into the hand of BJP with the installation of Modi as a Prime Minister of India. It was very shocking occasion for Lal Krishna Advani, Murli Manohar Joshi and other stalwart BJP leaders for not having been given birth in the Modi cabinet. In the same way former Chief Minister of Uttar Pradesh Kalyan Singh who had allowed Kar Sevaks to demolish the Babri Mosque had become an apple in the eyes of BJP and of Hindus of the country. Later he had quit the party because of the differences developed in the party with him and thus lost respect and honour in the party. He had also formed a Political party named ‘Rashtriya Kranti Party’ before the Loksabha elections of 2009. At that time he had gotten electoral pact striked with his political enemy Mulayam Singh Yadav who had ordered Police firing on Kar Sevaks at Ayodhya during his regime. All these 3 culprits of the Babri Mosque demolition case had to face this humiliation, disrespect and dishonour as a punishment given by Allah. 

Now the attempt of abolishing the existence of the Babri Mosque is under way as August 5, 2020 has been fixed for laying the foundation stone for the construction of Grand Ram Temple at the place of Babri Mosque. Will this exercise of abolishing of existence of Babri Mosque go to be proved destructive? The answer is concealed in future. The punishment given by Allah to Lal Krishna Advani, Murli Manohar Joshi, Kalyan Singh indicates that those who are involved in harming the existence of Babri Mosque have not been spared by God. In fact God has punished these peoples for their crimes of raising the false issue of ‘Ram Janm Bhoomi’ (Birth place of Ram) at the site of Babri Mosque by keeping an idol of Ram in the Mosque which was propagated as a miracle of Ram. Was it really a miracle of Ram or was it a deceitful act of ‘Ram Bhakts’ (Ram devotee) for occupying illegally the site of Babri Mosque. What is the truth about it, God knows well? So he punished all those persons who are involved in harming the Babri Mosque. If we look into the life of Ram, we do not find in him any such quality which indicates him as a God. There are many examples which show that he was a simple man not a god. For example, when a Golden Deer came near their hut during exile in forest, then his wife Sita expressed her wish for bringing after being caught it. If Ram would be God he would never go for hunting the Golden Deer. He would say to Sita that it was trap of Ravan for kidnapping you. But he was not a god, so he went behind the Golden Deer for hunting it. Meanwhile Ravan came and took Sita away. When Ram & Lakshman returned back to their hut, they do not find Sita in the hut. Both of them become worried very much. They search Sita around the hut but this exercise in vain. They decide to go in the forest for searching out Sita. They call out Sita here and there in the forest. But Sita is not found anywhere in the forest. In the way they found Jatayu, a bird in injured condition. He informs them that Ravan, the King of Lanka, has taken away Sita in his Pushpaka Vimana. At that point of time Ram comes to know about the fact of Sita to be taken away by Ravan by his Pushpaka Vimana. If Ram was God, he would not lost his time in searching Sita in the forest and would not come to know the fact about the abduction of Sita by Jatayu, an eagle bird. If he was god, he would has come to know the fact that Ravan has taken away Sita forcibly after returning from the forest. In addition to it when he was fighting the battle with Ravan, he could not know that Ravan had possessed nectar in his womb. It is the reason that Ravan’s head choped off by his attack with arrows again and again, however Ravan did not die. When Vibhishan, brother of Ravan, who had deserted him and join hands with Ram, unravelled the secret of Ravan possessing the nectar in his womb. So he adviced Ram to attack on the womb of Ravan for killing him. Ram did not know the secret of Ravan’s death. If he was God he would certainly know this secret of Ravan. He was simply a common man not God. If Vibhishan would not disclose the secret of Ravan, Ram would never killed Ravan taking birth again and again, while Ravan would remain live till the end of this world because of possessing nectar in his womb. This is also clear from the fact of his battle with Luv and Kush who had stopped the horse related to the Ashwamedh Yagya conducted by Ram establishing his supremacy over all things of the time. Luv and Kush gave challenge to Ram by stopping the horses of Ashwamedh Yagya. Ultimately a battle with Lav & Kush with army of Ram starts. Initially Bharat and Lakshman accepted the challenge of Luv Kush and fought with them who were defeated badly by Luv Kush. Finally Ram came in the battle field and fought battle with Luv Kush. If Ram was god, he would know this fact that Luv Kush are his sons. In this situation he would has not to fight a battle with them. But he fought a battle with them because he did not know that Luv Kush are his sons. These incidents show that Ram was a simply common man not God. He did not performed any miracle in his life and any miracle being performed by him after his death cannot be accepted. As far as Ram’s miracle relating to the idol found in the Babri Mosque in 1949 was totally fake miracle. It has no relation with truth. Since Babri Mosque has been grabbed illegally and forcibly and a Grand Ram Temple of Ram is going to be constructed at the site of Babri Mosque. This act may invite anger of Allah about which Jagadguru Shankracharya Swami Swaroopanand Saraswati has forecasted for a Catastrophe.

Here it will be not irrelevant to cite an incident relating to the punishment of Allah which happen in Mecca before the 40-45 years ago from the birth of the Prophet Muhammad in which a Christian King of Yemen had come to Mecca wth his large force containing a big number of Elephants with the aim of demolishing the most Pious Mosque of Islam ‘Kaba’. At that time Abdul Muttalib, Grandfather of Prophet Muhammad was the caretaker of 'Kaba'. He called a meeting of residence of Mecca for consultants about the protection of 'Kaba'. After long discussion they came to the conclusion that they could not protect the 'Kaba' from the large army of the Christian King of Yemen. So they decided leave the Mecca and take shelter nearby a place thinking it that the Master of the 'Kaba' will himself protect his ‘Home’. When the large army of the Christian King of Yemen advanced near to the 'Kaba' for demolishing it. Allah sent a large herd of tiny birds called Ababil with a tiny grit in its beak. These tiny birds got fell the tiny grits from its beaks on the large army of the Christian King of Yemen especially on the Elephants like a powerful bomb blowing them up into small fleshes presenting the scene as spilling out fodders from mouths of animals. This story has been told in Holy Quran.




- Rohit Sharma Vishwakarma 

Sunday, August 2, 2020

क्या 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास विनाशकारी साबित होगा?

अंततः अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर एक भव्य राम मंदिर के निर्माण की तारीख निर्धारित कर दी गई है। उस दिन मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे। राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम की तिथि का ऐलान होने पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बयान जारी कर 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम का विरोध किया है और यह स्पष्ट किया है कि उस दिन राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया जाना विनाशकारी साबित होगा क्योंकि राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास का समय अशुभ है क्योंकि यह भाद्रपद मास में होने जा रहा है। भाद्रपद मास में होने वाले काम विनाशकारी होते हैं। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के अतिरिक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी क्षेत्र वाराणसी के कई साधु-संतों ने भी 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किए जाने का विरोध किया है। इनमें सुमेरु पीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज और वाराणसी के अविमुक्तेश्वरानन्द स्वामी शामिल हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार राम मंदिर के निर्माण का काम अगस्त माह में नहीं शुरू किया जा सकता है और अगर ऐसा किया जाता है तो इसका नकारात्मक परिणाम निकलेगा। राम मंदिर निर्माण के लिए निर्धारित की गई भूमि पूजन की तिथि का विरोध किया जाना बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर निर्माण की कार्रवाई को ईश्वर की चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि बाबरी मस्जिद को अनुचित तरीके से हथियाया गया है। 

जहाँ तक इस देश के कट्टर हिन्दुओं का संबंध है यह क्षण उनके लिए बहुत ही हर्षजनक है क्योंकि वें अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का सपना देख रहे थे। अयोधया में राम मंदिर की शुरुआत का एक अच्छा पहलू यह होगा कि इससे देश में सौहार्द का वातावरण बनने का रास्ता खुलेगा क्योंकि इस मुद्दे को लेकर देश के हिन्दू और मुसलामानों में घृणा और नफरत का माहौल पाया जाता रहा है, जिसके कारण राम मंदिर निर्माण का आंदोलन आरंभ किये जाने के बाद से देश के विभिन्न भागों में 73 सालों में भड़के साम्प्रदायिक दंगों में हजारों लोग मारे गए। क्योंकि इस विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला दे दिया है जिसे देश के मुस्लिम समुदाय ने कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में इसे मान लिया है परन्तु उनका विचार है कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला निष्पक्ष नहीं है। यही कारण है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद मुसलमानों की तरफ से एक पुनर्विचार याचिका इस उम्मीद से दायर की गई कि सर्वोच्च न्यायालय से फैसला परिवर्तित कराया जा सके। सर्वोच्च न्यायालय ने इस पुनर्विचार याचिका को यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि इसके द्वारा इस विवाद को बहुत ही गहराई से जांचा और परखा गया, इसलिए इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार मुस्लिम समुदाय को बाबरी मस्जिद पर उनके कानूनी मालिकाना हक़ से वंचित कर दिया गया। उनका विचार है कि यह फैसला उनके साथ नाइंसाफी है और इस नाइंसाफी का बदला 'अल्लाह' उचित समय पर लेगा।

मुस्लिम समुदाय का विचार है कि अतीत में जिन लोगों द्वारा बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाया गया उनको अल्लाह ने सज़ा दी। जिन लोगों को अल्लाह ने सज़ा दी उनमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह (सभी भाजपा नेता) शामिल हैं। इनके अलावा सय्यद शाहबुद्दीन, ज़फरयाब जिलानी, जावेद हबीब आदि मुस्लिम नेता भी अल्लाह की सज़ा से नहीं बच पाए। दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा विवादित स्थल का ताला खुलवाया गया और विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास भी कराया गया। ऐसा करके उनके द्वारा बहुत बड़ी गलती की गई जिसका सुधार संभव नहीं था और दुनिया ने उनकी हिंसक मौत का मंजर देखा। दिवंगत प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने बाबरी मस्जिद को विध्वंस कराने वालों को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जब लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के नेतृत्व में हज़ारों कारसेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद पर हमला कर इसका विध्वंस कर दिया गया। नरसिम्हा राव द्वारा बाबरी मस्जिद पर हमला किए जाने से पहले इसे बचाने के लिए वहां फ़ौज को तैनात करना चाहिए था। अल्लाह ने उन्हें इस तरह सज़ा दी कि सत्ता से बाहर होते ही उन्हें एक धोखाधड़ी के एक मामले में अभियुक्त बना दिया। धोखाधड़ी का यह मामला 'लक्खू भाई पाठक धोखाधड़ी केस' के तौर पर जाना जाता है। यह एक असाधारण अवसर था जब एक पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ धोखाधड़ी का अदालत में मुकदमा चला जिसने इनके सम्मान और आदर को मलियामेट कर दिया। इस प्रकार उन्हें अपूरणीय अपमान झेलना पड़ा। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती आज भी हर प्रकार का अपमान झेल रहे हैं। यें सभी बाबरी मस्जिद के विध्वंस की साजिश रचने के लिए अभियुक्त बनाए गए हैं और इनके खिलाफ अदालत में मुकदमा चल रहा है। लाल कृष्ण आडवाणी बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में मुख्य अभियुक्त हैं इसलिए अल्लाह द्वारा इन्हें सख्त सज़ा दी गई है। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर निर्माण के लिए उनके द्वारा एक आंदोलन चलाया गया जिसमें उन्हें देश के कट्टर हिन्दुओं का हीरो बना दिया। उस समय उनके बारे में यह समझा जा रहा था कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। जब 1996 में दूसरे दलों के समर्थन से केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो उनके प्रधानमंत्री बनने का सपना चूरचूर हो गया क्योंकि समर्थक दलों ने उनके स्थान पर अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाने की शर्त रखी। इस प्रकार उनके कट्टर हिन्दू नेता होने के कारण वह प्रधानमंत्री बनने से वंचित रह गए। जबकि राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए इनके आंदोलन के कारण ही 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी लेकिन इसका लाभ आडवाणी को नहीं मिल पाया। यह आडवाणी के लिए बहुत बड़ा आघात था जो उनके अपमान के रूप में सामने आया। अब 1998 में भाजपा केंद्र में फिर सत्ता में आई तब उस समय भी आडवाणी को किनारे कर दिया गया और वाजपेयी को फिर प्रधानमंत्री बना दिया गया। कांग्रेस के केंद्र में 2004 से 2014 तक सत्तासीन रहने के दौरान लाल कृष्ण आडवाणी का राजनीतिक क्षितिज से पतन हो गया और इस दौरान नरेंद्र मोदी भाजपा के कद्दावर नेता के तौर पर उभरे। मोदी के नेतृत्व में अब पार्टी ने जब 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ा तब पार्टी को चुनाव में पहली बार अपने दम पर बहुमत प्राप्त हुआ और पार्टी के हाथ में केंद्र की लगाम पूर्ण रूप से आई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। उस समय लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अन्य भाजपा के कद्दावर नेताओं को बड़ा झटका लगा जब मोदी की काबीना में उन्हें स्थान नहीं दिया गया। इसी तरह उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद को विध्वंस करने की छूट दिए जाने के कारण भाजपा और कट्टर हिन्दुओं की आँखों का तारा बन गए थे। बाद में उन्हें भाजपा छोड़नी पड़ी क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ उनका मतभेद हो गया था और इस प्रकार पार्टी में उन्हें जो आदर और सम्मान प्राप्त था वह समाप्त हो गया। उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव से पहले अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाई जिसका नाम 'राष्ट्रीय क्रांति पार्टी' था। उन्होंने अपने राजनीतिक शत्रु मुलायम सिंह से चुनावी समझौता किया जिन्होंने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के दौरान कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था जिसके नतीजे में कई कारसेवक मारे गए थे। बाबरी मस्जिद को हानि पहुंचाने वाले इन सभी मुज़रिमों को अल्लाह द्वारा सज़ा दी गई जिनके नतीजे में इनका आदर-सम्मान मलियामेट हो गया।

अब बाबरी मस्जिद के अस्तित्व को मिटाने की तैयारी हो रही है क्योंकि बाबरी मस्जिद की जगह पर भव्य राम मंदिर बनाने के लिए शिलान्यास के लिए 5 अगस्त 2020 की तारीख़ निर्धारित हो चुकी है। क्या बाबरी मस्जिद के अस्तित्व को मिटाने से संबंधित यह कार्रवाई विनाशकारी साबित होगी? इसका जवाब भविष्य में छिपा हुआ है। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह इत्यादि को अल्लाह द्वारा दी गई सज़ा से यह संकेत मिलता है कि जो लोग बाबरी मस्जिद के अस्तित्व को नुकसान पहुंचाने में शामिल थे उन्हें अल्लाह द्वारा छोड़ा नहीं गया। वास्तव में इन लोगों को अल्लाह द्वारा इसलिए भी सज़ा दी गई क्योंकि इन लोगों द्वारा बाबरी मस्जिद को धोखाधड़ी का सहारा लेकर रामजन्मभूमि साबित करने का प्रयास किया गया। इसके लिए बाबरी मस्जिद में राम की मूर्ति रखवाई गई और इसे राम का चमत्कार बताया गया। क्या यह वास्तव में राम का चमत्कार था या फिर यह 'राम भक्तों' की धोखाधड़ी से परिपूर्ण कार्रवाई थी ताकि बाबरी मस्जिद को अवैध तरीके से कब्ज़ा कर लिया जाए? इस संबंध में सच्चाई क्या है वह ईश्वर भलीभांति जानता है और इसीलिए बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुँचाने वालों को उसने सज़ा दी। अगर हम राम के जीवन पर नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि उनमें ऐसा कोई गुण नहीं है जो उनके भगवान होने की ओर संकेत करता है। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिनसे यह पता चलता है कि राम एक सामान्य व्यक्ति थे ना कि भगवान। उदाहरणार्थ जब एक सुनहरा हिरण उनकी कुटिया के पास आया तो सीता ने उस हिरण को पकड़ लाने के लिए राम से कहा। अगर राम भगवान होते तो वह उस सुनहरे हिरण का शिकार करने नहीं जाते। वह सीता को बताते कि यह तुम्हें हरण करने की रावण की चाल है। परन्तु वह भगवान नहीं थे इसलिए वह उस सुनहरे हिरण का शिकार करने के लिए निकल पड़े। इस बीच रावण आया और सीता का हरण कर लिया। जब राम और लक्ष्मण अपनी कुटिया के पास वापस आए तो उन्होंने सीता को कुटिया में नहीं पाया। दोनों बहुत चिंतित हुए और कुटिया के आसपास सीता को तलाश किया लेकिन उनकी यह तलाश विफल रही। तब वें जंगल में जाकर सीता को तलाश करने का फैसला करते हैं। वें सीता को जंगल में इधर-उधर पुकारते हैं लेकिन उन्हें जंगल में कहीं भी सीता नहीं मिलती है। रास्ते में उन्हें एक पक्षी जटायु घायल अवस्था में मिलता है। वह उन्हें सूचित करता है कि लंका का राजा रावण सीता को अपने पुष्पक विमान में हरण कर ले गया है। उस समय राम को मालूम होता है कि रावण ने सीता का हरण कर लिया है। अगर राम भगवान होते तो वह सीता को जंगल में तलाश करने में अपना समय व्यर्थ नहीं करते और उन्हें सीता के हरण से तथ्य का पता जटायु से नहीं चलता। अगर वह भगवान होते तो वह खुद जान लेते की सीता का हरण रावण द्वारा किया गया है। इसके अलावा जब वह रावण के साथ युद्ध कर रहे थे तब उन्हें यह नहीं मालूम था कि रावण की नाभि में अमृत है। यही कारण है कि राम के तीरों के हमले से रावण का सिर बार-बार धड़ से अलग होता रहा, लेकिन वह जीवित हो जाता था। रावण के भाई विभीषण ने जो राम से आकर मिल गया था, राम को रावण के अमृत धारक होने की जानकारी दी। उसने राम को रावण की नाभि पर हमला करने का परामर्श दिया। राम रावण की मृत्यु के रहस्य को नहीं जानते थे। अगर वह भगवान होते तो वह रावण की मृत्यु के रहस्य को निश्चित तौर पर जानते। वह एक सामान्य व्यक्ति थे ना कि भगवान। अगर विभीषण ने रावण की मृत्यु का रहस्य राम को ना बताया होता तो राम इस संसार के समाप्त होने तक जंग पर जंग लड़ लेने के बाद भी रावण का संहार नहीं कर सकते थे जबकि रावण अमृत धारक होने के कारण इस संसार के अंत तक जीवित रहता। यह बात राम का लव-कुश के साथ युद्ध करने से भी स्पष्ट होती है कि जिन्होंने राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ लिया था। इस प्रकार लव-कुश ने राम की सत्ता को चुनौती दी जिसके परिणामस्वरूप लव-कुश और राम की सेना के बीच युद्ध हुआ। शुरू में भरत और लक्ष्मण लव-कुश के साथ युद्ध करने आए और बुरी तरह परास्त हुए। अंत में राम युद्ध के मैदान में आए और लव-कुश के साथ युद्ध किया। अगर राम भगवान होते तो उन्हें ज्ञान होता कि लव-कुश उनके पुत्र हैं। ऐसी स्थिति में वह लव-कुश से युद्ध नहीं करते। लेकिन उन्होंने लव-कुश के साथ युद्ध किया क्योंकि उन्हें नहीं मालूम था कि लव-कुश उनके पुत्र थे। यह घटनाएं बताती हैं कि राम एक सामान्य व्यक्ति थे, भगवान नहीं थे। उन्होंने अपने जीवन में कोई चमत्कार नहीं किया और उनके देहावासन के बाद उनसे किसी चमत्कार को जोड़ना स्वीकार योग्य नहीं है। जहाँ तक 1949 में बाबरी मस्जिद में मूर्ति रखकर राम का चमत्कार बताया जाता है वह पूरी तरह फ़र्ज़ी चमत्कार है। इसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं है। क्योंकि बाबरी मस्जिद को अवैध तरीके से हथियाया गया है और उसकी जगह पर एक भव्य राम मंदिर निर्माण किया जा रहा है, यह कदम अल्लाह की नारज़गी को आमंत्रित करने वाला है जिसकी भविष्यवाणी जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने उस बयान में की है कि राम मंदिर का निर्माण अशुभ मुहूर्त में किया जा रहा है जो विनाशकारी साबित होगा।

यहाँ अल्लाह द्वारा सज़ा दिए जाने से संबंधित क़ुरान की उस घटना का उल्लेख करना असंगत नहीं होगा जो पैगंबर मुहम्मद साहब के जन्म से 40-45 वर्ष पूर्व मक्का में घटी जिसमें पड़ोसी देश यमन का ईसाई राजा ने एक बड़ी सेना लेकर मक्क़ा पर चढ़ाई की। इस सेना में भारी संख्या में हाथी भी शामिल थे। ईसाई राजा का उद्देश्य था कि मक्क़ा में स्थित पवित्रतम पूजा स्थल 'काबा' को गिरा दिया जाए। जब यह सेना 'काबा' के पास पहुंची तो अल्लाह द्वारा अबाबील नामक एक छोटी चिड़िया का बड़ा झुंड भेजा जिनकी चोंच में बहुत ही छोटी-छोटी कंकड़ियां थीं। इन पक्षियों ने 'काबा' को गिराने आई सेना और इसके हाथियों पर अपनी चोंच की कंकड़ियों को गिराया जो शक्तिशाली बम के रूप में बदल गईं, जिससे हाथियों के चीथड़े बिखर गए। इस तरह वहां का दृश्य जानवरों द्वारा खाए गए चारों को उगल दिए जाने जैसा नजर आ रहा था। इस घटना का उल्लेख पवित्र क़ुरान की सूरह अल फील में हैं।


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा।

यूक्रेन रूस का 'आसान निवाला' नहीं बन पाएगा

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले का आज चौथा दिन है और रूस के इरादों से ऐसा लग रहा है कि रूस अपने हमलों को ज़ारी रखेगा। यद्यपि दुनिया के सारे देश रू...