Saturday, October 24, 2020

क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यौन और कामवासना के भोगी है?


जब कोई धनवान बनता है तो उसके बाद वह अय्याशियों (कामवासना) में लिप्त हो जाता है। इसके अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे और जब ऐसे व्यक्ति को सत्ता प्राप्त हो जाती है तो वह अपनी वासनापूर्ति के लिए हर रोज़ नई स्त्री चाहता है और जब ऐसा व्यक्ति दिखावे के लिए धर्मगुरु भी हो और किसी मंदिर का मठाधीश हो तब उसकी अय्याशी की कोई सीमा नहीं रहती। कुछ ऐसी ही बातें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में कही और सुनी जाती हैं क्योंकि इनके पास बेहिसाब धन है, इनके पास सत्ता है और वह धर्मगुरु भी हैं। ऐसी स्तिथि में हमें यह जानने का अधिकार है कि उनका निजी जीवन कैसा है? क्योंकि वह राजनीति में सक्रिय हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इसलिए न केवल प्रदेश के मतदाताओं की बल्कि पूरे देश के मतदाताओं को उनसे उनके निजी जीवन के बारे में पूछने का अधिकार है और इसका जवाब जानने का भी अधिकार है। चूँकि योगी आदित्यनाथ राजनीति में आने के कारण पब्लिक फिगर (सार्वजनिक हस्ती) बन गए हैं इसलिए उनका निजी जीवन उनका अपना नहीं रहा। इनके निजी जीवन के बारे में तो उनसे उसी वक़्त पूछा जाना चाहिए था जब 1998 में इन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर सांसद बने थे। उस समय वह बिलकुल युवा थे और उनकी आयु लगभग 26 वर्ष की थी। जब इनमें यौन इच्छा और कामवासना का तूफ़ान उठ रहा होगा क्योंकि यही वो समय होता है जब व्यक्ति यौन इच्छा और कामवासना की आपूर्ति के लिए हैवान तक बन जाता है। जिनके अनगिनत उदाहरण मौजूद हैं।

 

हम यहाँ योगी आदित्यनाथ के निजी जीवन में यौन इच्छा और कामवासना की इच्छा की आपूर्ति पर इसलिए बहस करना चाहते हैं क्योंकि वह स्वयं को योगी कहते हैं जिसका अर्थ होता है कि उन्हें अपनी सभी इच्छाओं पर नियंत्रण हासिल है। यहाँ यह सवाल उठता है कि क्या उन्हें वास्तव में अपनी सभी इच्छाओं पर जिनमें यौन इच्छा और कामवासना शामिल है? जहाँ तक एक सच्चे और असली योगी का संबंध है निःसंदेह उसे अपनी सांसारिक इच्छाओं पर जिनमें यौन इच्छा और कामवासना शामिल है, नियंत्रण होता है। आमतौर से योगी ऐसा ही होता है। देश में जो भी योगी हुए हैं वह संसार की मोहमाया से निकलकर परमात्मा के ध्यान में लीन होकर अध्यात्म की बुलंदियों पर पहुंचे और परमात्मा के होकर रह गए। उनमें कोई इच्छा थी तो केवल और केवल परमात्मा के ध्यान में लीन रहने की। सांसारिक जीवन से उनका कोई लेना-देना नहीं रहा। अभी हाल के दौर में पूर्वांचल के देवरिया ज़िले में एक महान योगी का दुनिया ने दर्शन किया जो देवरहा बाबा के नाम से जाने जाते हैं। जो अपनी कुटिया में एक मचान पर रहते थे और अपना दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को पैर से आशीर्वाद दिया करते थे। एक बार स्व० प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भी उनके पास आशीर्वाद लेने पहुंची थी तो देवरहा बाबा ने अभय मुद्रा में उन्हें अपना हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया और कहा यही तुम्हारा कल्याण करेगा। बाद में देवरहा बाबा देवरिया से लापता हो गए और लोगों ने उन्हें हरिद्वार में देखा। उनकी आयु के बारे में विभिन्न धारणाएं थीं। कोई उन्हें 500 वर्ष का बताता था, कोई उन्हें 300 वर्ष का बताता था तो कोई उन्हें 200 वर्ष का बताता था। ऐसे सच्चे और असली योगी का नाम योगी आदित्यनाथ ने भी सुना होगा। क्या योगी आदित्यनाथ इस महान योगी जैसा स्वयं को सच्चा और असली योगी कह सकते हैं? इनका सारा जीवन इस बात का सबूत है न यह सन्यासी हैं, न यह योगी हैं और न यह धर्मगुरु हैं। उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल के पंचुर गाँव में उत्पन्न हुए योगी आदित्यनाथ ने अपनी पढ़ाई-लिखाई उत्तराखंड में की। बाद में वह गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मठ पर शोध करने के लिए गोरखपुर आए और महंत अवैधनाथ से उनका संपर्क स्थापित हुआ जो उनके चाचा थे उन्होंने उनसे दीक्षा लिया और सन्यासी बन गए। 1998 में संन्यास छोड़कर राजनीति में कूद गए जो देश का सबसे गन्दा क्षेत्र है। तबसे वह देश के सबसे गंदे क्षेत्र में डुबकी लगा रहे हैं फिर भी वह स्वयं को योगी और धर्मगुरु कहते हैं। उनके द्वारा यह मुखौटा लगाए जाने के कारण कुछ अंधविश्वासी इन्हें अपना भगवान मानते हैं और इस प्रकार यह लोगों को धोखा और फरेब दे रहे हैं। ऐसे ही अंधविश्वासी आसाराम बापू को भी भगवान मान रहे थे जो एक बलात्कारी निकला जो इस आरोप में अभी तक जेल में बंद है। राम रहीम भी कुछ अंधविश्वासियों की नज़र में भगवान था, जब उसकी पोल खुली तो मालूम हुआ कि वह कमसिन लड़कियों से संभोग करने का रसिया था। आज वह भी जेल में है और उसे भी जमानत नहीं मिल पाई है। स्वामी नित्यानंद का भी बड़ा नाम था। यह भी अपने भक्तों में भगवान के रूप में देखा जाता था। इसकी कई वीडियो सामने आ चुकी हैं जिसमें इसके द्वारा लड़कियों से अपने बदन की मालिश करवाते हुए देखा जा सकता है। ऐसे ही 'एक भगवान' चिन्मयानन्द है जिनका एक वीडियो सामने आ चुका है जिसमें यह भगवान निर्वस्त्र होकर लड़कियों से अपनी मालिश करवाता हुआ नजर आता है। यह भगवान भी बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार होकर जेल जा चुका है और महीनों जेल की रोटियां खाने के बाद अब जमानत पर जेल से बाहर आ गया है इसका भव्य स्वागत योगी आदित्यनाथ के समर्थकों द्वारा किया गया। दिलचस्प बात यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पुलिस प्रशासन को इस मंशा का पत्र लिखा गया है कि चिन्मयानन्द के खिलाफ लगाए गए आरोपों को हटा लिया जाए। इससे योगी आदित्यनाथ के महिला विरोधी विचार का प्रदर्शन होता है जो एक बलात्कार के आरोपी को सख्त से सख्त सज़ा देने की सिफारिश करने के बजाए ऐसे बलात्कारी के खिलाफ लगाए गए बलात्कार के आरोप को हटाने के लिए चिट्ठी लिखता है। अगर चिन्मयानन्द बलात्कारी नहीं है तो अदालत द्वारा उसे आरोपमुक्त कर दिया जाएगा लेकिन आदित्यनाथ को अदालत पर भरोसा नहीं है इसलिए उन्होंने पुलिस प्रशासन को चिट्ठी लिखी है। चिन्मयानन्द जैसे बलात्कारी के साथ कोई आम आदमी ऐसी सहानुभूति नहीं रख सकता जैसी सहानुभूति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा व्यक्त की जा रही है। यह कैसा 'भगवान' है जो एक बलात्कारी को बचाने में इतनी दिलचस्पी ले रहा है। जबकि भगवान बुराई करने वालों को सजा देता है। जो अंधविश्वासी योगी आदित्यनाथ को भगवान मानते हैं वह अपने दिमाग का दरवाज़ा खोलकर योगी आदित्यनाथ की इस महिला विरोधी हरकत को देखें और स्वयं फैसला करें कि कोई भगवान बलात्कारियों को कैसे बचा सकता हैं?

 

चिन्मयानन्द जैसे बलात्कारी के खिलाफ बलात्कार के आरोप को हटाने के लिए पुलिस प्रशासन को पत्र लिखने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चरित्रहीन होने का सबूत है क्योंकि जो जैसा होता है वह अपने ही जैसे लोगों को पसंद करता है। क्या योगी आदित्यनाथ ने चिन्मयानन्द का वह वीडियों नहीं देखा है जिसमें वह निर्वस्त्र होकर एक लड़की से अपने बदन की मालिश करवाता हुआ नजर आता है? इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ ने चिन्मयानन्द का यह वीडियो नहीं देखा होगा और उन्हें चिन्मयानन्द का अपनी यौन इच्छा और कामवासना की अवैध तरीके से आपूर्ति के लिए महिलाओं से संभोग करने की कहानी का उन्हें पता नहीं होगा? इसके बावजूद योगी आदित्यनाथ चिन्मयानन्द के साथ सहानुभूति रखते हैं तो निश्चित तौर पर निजी जीवन में उनका भी यही खेल होगा। इसका दावा मैं इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि योगी आदित्यनाथ दिखावे के लिए योगी और धर्मगुरु है। वह वास्तव में भोगी अर्थात अपनी यौन इच्छा और कामवासना की आपूर्ति के लिए महिलाओं का भोग करते हैं। मेरा उनसे यहाँ यह प्रश्न है कि क्या उन्होंने अपनी यौन इच्छा और कामवासना की आपूर्ति के लिए आजतक संभोग नहीं किया है। अगर इस प्रश्न का उत्तर वह नकारात्मक देते हैं तो इसका मतलब यह है कि वह नपुंसक हैं और उनके द्वारा यह उत्तर दिए जाने पर मेडिकल टेस्ट होना चाहिए कि वह नपुंसक हैं या पौरूष शक्ति उनमें मौजूद है। आसाराम बापू का मेडिकल टेस्ट होने पर उसमें पौरूष शक्ति के मौजूद होने का पता चला था अर्थात उसमें संभोग करने की क्षमता थी। 


योगी आदित्यनाथ सांसारिक वस्तुओं का हर तरह भोग कर रहे हैं इसका उदाहरण उनका जीवन है। कोई भी व्यक्ति सिवाय अंधविश्वासियों के उनका जीवन देखकर यही कहेगा कि वह धर्म के नाम पर दुनिया को धोखा और फरेब दे रहे हैं। इनके अंदर धर्म का ज़रा भी अंश नहीं पाया जाता है। भगवा कपड़ा पहनकर और धार्मिक बातें कहकर कोई धार्मिक नहीं बन जाता है। धार्मिक वह होता है जिसका हर क्षेत्र में धार्मिक व्यवहार होता है और समाज के लोगों में वह प्यार-मुहब्बत फैलाने की बात करता है। भोगी आदित्यनाथ के जीवन से यह सब गायब है। इस भोगी का धार्मिक मुखौटा तो उस वक़्त उतर गया जब इन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। जैसा कि मैं ऊपर लिख चुका हूँ कि राजनीति से गंदा क्षेत्र कोई नहीं है तो गंदगी के इस दलदल में कोई भी सच्चा धार्मिक व्यक्ति घुसना नहीं चाहेगा। देश के राजनीतिक इतिहास में हम किसी सच्चे धार्मिक व्यक्ति को राजनीति में हिस्सा लेते हुए नहीं पाते अर्थात हम यह नहीं पाते हैं कि कोई सच्चा धार्मिक व्यक्ति विधायक बना हो, सांसद बना हो, मंत्री बना हो, मुख़्यमंत्री बना हो या प्रधानमंत्री बना हो। ऐसा कोई उदाहरण देश में कहीं नहीं मिलता। इस भोगी की गंदी मानसिकता का उदाहरण यही है कि वह धर्म जैसे पवित्र क्षेत्र में रहते हुए भी राजनीति जैसे गंदे क्षेत्र में कूद गए और इस गंदगी का भोग कर रहे हैं। वैसे वह जिस मंदिर के मठाधीश हैं वहाँ भी यह गंदगी का भोग कर रहे हैं। इस तरह के मंदिरों का देश में क्या हाल है इसका उदाहरण लगभग 1 वर्ष पूर्व दक्षिण के एक मंदिर में देवदासी बना दी गई एक लड़की ने अपनी आत्मकथा को व्हाट्सअप पर भेजा था। उसमें उसने देवदासी बना दिए जाने पर उसने मंदिर के महामठाधीश जो बहुत मोटा और भारी भरकम शरीर वाला था द्वारा सबसे पहले अपने साथ हुए संभोग का बगैर हिचकिचाए बारीकी से वर्णन किया है। 13-14 वर्ष की इस देवदासी ने वर्णन किया है कि जब उस मठाधीश ने पहली बार उसके साथ संभोग किया तो वह पीड़ा से चींखती-चिल्लाती रही और वह तीव्र पीड़ा से तड़पती रही। लेकिन इसका ज़रा भी असर उसके साथ संभोग करने वाले महामठाधीश पर नहीं पड़ा। वह अपने साथ किए जा रहे संभोग से उत्पन्न तीव्र पीड़ा से कब बेहोश हो गई उसे पता नहीं चला। होश आने पर उसने स्वयं को निर्वस्त्र पाया और अपनी योनि को ज़ख़्मी पाया और बिस्तर पर भी काफ़ी रक्त पाया। उसने लिखा है कि उसके साथ महीनों हर रात मंदिर के अन्य पुजारी संभोग करते रहे और वह उनके द्वारा किए जा रहे संभोग से उत्पन्न पीड़ा को सहती रही। जब सभी पुजारियों द्वारा बार-बार अपनी वासना की भूख मिटा ली गई तब उसे देह बाज़ार में बेच दिया गया लेकिन वह किसी तरह वहां से बच निकली और अब गुमनाम जीवन बिता रही है। इस तरह इससे पता चलता है कि देवदासी प्रथा आज भी जारी है और यहाँ के मंदिरों के मठाधीश और अन्य पुजारी अपनी यौन इच्छा की आपूर्ति के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं। भोगी आदित्यनाथ भी एक प्रसिद्ध मठ के महामठाधीश हैं जहाँ रोज़ाना सैंकड़ों स्त्रियां और युवतियां पूजा-पाठ के लिए आती हैं और कुछ अन्य प्रमुख अवसरों पर यहाँ हज़ारों की संख्या युवतियां और स्त्रियां पूजा-पाठ के लिए आती हैं। यद्यपि इस मठ में युवतियों और स्त्रियों के साथ हुए किसी घृणित अपराध की घटना प्रकाश में नहीं आई हैं। लेकिन यहाँ भी युवतियों और स्त्रियों के साथ हो रहे घृणित अपराध की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसकी संभावना इसलिए है कि भोगी आदित्यनाथ अविवाहित हैं और उन्हें अपनी कामवासना की आपूर्ति के लिए अपोज़िट सेक्स की ज़रूरत होती है जो उनके मठ में बहुतायत उपलब्ध होती हैं। वह वहां उपलब्ध जिस अपोज़िट सेक्स की ओर इशारा कर देते होंगे और उनके गुर्गे उनके कक्ष में पहुंचा देते होंगे। बाद में ऐसी अपोज़औिट सेक्स का कोई अता-पता नहीं चलता होगा। यहाँ यही खेल वर्षों से चल रहा होगा। लेकिन हमारा यह दावा है कि यह पाखंडी योगी आदित्यनाथ कामवासना में पूरी तरह लिप्त है। क्योंकि जब महादेव अपनी कामवासना पर नियंत्रण नहीं कर पाए और इसकी आपूर्ति के लिए पार्वती से विवाह किया तो ढोंगी आदित्यनाथ से क्या यह आशा की जा सकती है कि वह अपनी कामवासना पर नियंत्रण कर स्त्रियों का भोग नहीं करते हैं? इस तरह के मठ में स्त्रियों के साथ बलात्कार का ज्वलंत उदाहरण बनारस का विश्वप्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर है। जहाँ इसके एक हिस्से को बादशाह औरंगज़ेब द्वारा ध्वस्त करा दिया गया था और वहां ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी गई थी। इसका कारण यह था कि औरंगज़ेब के एक हिन्दू सेनापति की पत्नी के काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-पाठ के उद्देश्य से जाने पर उनका अपहरण कर लिया गया और मंदिर के तहखाने में ले जाकर उससे बलात्कार किया गया और उसके जेवरात लुट लिए गए थे। इस घृणित ऐतिहासिक घटना का उल्लेख डॉ० पट्टाभि सीतारमैया द्वारा 1946 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'फीदर्स एंड स्टोन्स' में किया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर में घटी यह घृणित घटना ज़ाहिर है पहली घटना नहीं रही होगी। इस मंदिर में इससे पहले लाखों स्त्रियों और बालिकाओं के साथ बलात्कार किया गया होगा। उनके आभूषण लुटे गए होंगे और संभवतः बहुतों की हत्या भी कर दी गई होगी। हिन्दू धर्म के इस अति महत्वपूर्ण मंदिर में लाखों स्त्रियों के साथ हुई बलात्कार की घटनाओं ने इस पवित्रतम मंदिर को घोर अपवित्र कर दिया जिसे बादशाह औरंगज़ेब बर्दाश्त ना कर सका और उसे ध्वस्त करा दिया गया। यहाँ पर उक्त हिन्दू सेनापति की पत्नी की इच्छा पर ज्ञानवापी मस्जिद बना दी गई। यह है ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण की सच्ची कहानी। जो काशी विश्वनाथ मंदिर मोक्ष प्राप्ति करने का ज़रिया है वहां ऐसे घृणित अपराध हो रहे हों इससे मंदिर के महंतों और पुरोहितों का घृणित चेहरा बेनकाब होता है। बहुत संभव है कि आज भी काशी विश्वनाथ मंदिर में स्त्रियों के साथ वही सब कुछ हो रहा होगा जो बादशाह औरंगज़ेब के ज़माने में हो रहा था। 


भोगी आदित्यनाथ के गोरखनाथ मंदिर में क्या ऐसा नहीं हो रहा होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता? क्योंकि आदित्यनाथ पाखंडी हैं और धर्म का चौला लोगों को दिखाने के लिए पहन रखा है और अपने नाम के आगे योगी शब्द जोड़कर लोगों को यह बता रहे हैं कि यौन इच्छा और कामवासना की आपूर्ति से वह 'बहुत ऊपर' हैं। लेकिन उनका जीवन यह बता रहा है कि वह सांसारिक वस्तुओं का भोग एक सामान्य व्यक्ति की तरह कर रहे हैं जिसमें स्त्रियों का भोग भी शामिल है। अगर ऐसा नहीं है तो भोगी आदित्यनाथ बताएं कि उन्होंने आजतक स्त्री का भोग किया है कि नहीं? अर्थात क्या उन्होंने आजतक अपनी यौन इच्छा और कामवासना की आपूर्ति की या नहीं। क्योंकि वह अविवाहित हैं इसलिए उनके द्वारा किसी से नाजायज तरीके से संभोग किया जा रहा होगा। मुझे यह पोस्ट इसलिए विवश होकर लिखनी पड़ रही है क्योंकि आदित्यनाथ स्वयं को योगी और धर्मगुरु कहते हैं। इसके बावजूद वह सांसारिक गतिविधियों में पूर्ण रूप से लिप्त हैं। जो किसी सच्चे सन्यासी और सच्चे योगी के जीवन में नज़र नहीं आता है। 


- रोहित शर्मा विश्वकर्मा



नोट : सभी पाठकों से अनुरोध है कि इस पोस्ट को ज़्यादा से ज़्यादा और तब तक शेयर करते रहे जब तक योगी आदित्यनाथ अपने नाम के आगे से योगी शब्द को हटा लें या राजनीति से सन्यास लेलें।


 

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