Wednesday, July 1, 2020

मोदी सरकार चाहती है कि देश का हर व्यक्ति बीमार हो।

जिस प्रकार केंद्र सरकार 'आयुष्मान भारत योजना' को ना लागू करने वाले राज्यों की आलोचना कर रही है, इससे यह आभास होता है कि देश के सभी नागरिक बीमार पड़ें ताकि वें (सभी नागरिक) 'आयुष्मान भारत योजना' का लाभ उठा सकें। चंद महीनों पहले दिल्ली में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल सरकार की 'आयुष्मान भारत योजना' को लागू ना किए जाने के कारण कड़ी आलोचना की थी कि दिल्लीवासियों को 'आयुष्मान भारत योजना' का लाभ उठाने से वंचित रखा जा रहा है। वास्तव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 'आयुष्मान भारत योजना' को दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपना मुख्य मुद्दा बनाया था, लेकिन दिल्लीवासियों ने इसे लात मारकर सत्ता के पास पहुँचने से दूर कर दिया था। अभी हाल में गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल सरकार पर 'आयुष्मान भारत योजना' को लागू ना करने का आरोप राज्य में की गई अपनी डिज़िटल रैली में लगाया और ममता सरकार की यह कहते हुए कड़ी आलोचना की कि ममता सरकार इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्य के मतदाताओं में लोकप्रियता बढ़ने के कारण नहीं लागू कर रही है। देश की सरकार के यह दो सबसे बड़े नेता 'आयुष्मान भारत योजना' की सच्चाई को नहीं बता रहे हैं। इसके बजाय यह दोनों नेता इस योजना के बारे में लोगों को गुमराह कर रहे हैं क्योंकि इनके बयानों से यह ज़ाहिर होता है कि 'आयुष्मान भारत योजना' को लागू किए जाने से देश के सभी नागरिकों को इसका लाभ मिलेगा, जबकि यह सच नहीं है। 

जहाँ तक 'आयुष्मान भारत योजना' का संबंध है इससे केवल समाज के वंचित वर्ग जिनमें भिखारी, कूड़ा बीनने वाले, घरेलू कामकाज करने वाले, रेहड़ी-पटरी दुकानदार, मोची, फेरी वाले, सड़क पर कामकाज करने वाले अन्य व्यक्ति, कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मज़दूर, प्लंबर, राजमिस्त्री, मज़दूर, पेंटर, वेल्डर, सिक्यॉरिटी गार्ड्स, कुली और भार ढोने वाले अन्य कामकाजी व्यक्ति इसमें शामिल किए गए हैं, जिनकी संख्या 10 करोड़ परिवार (50 करोड़ लोग) हैं, को लाभ मिलेगा। इस योजना से लाभ उठाने वालों को पहले 'आयुष्मान भारत योजना' की वेबसाइट पर जाना होता है और स्वयं को रजिस्टर कराना होता है। तब वें इस योजना का लाभ उठाने के हक़दार होते हैं। हम यहाँ इस बात का आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इन श्रेणियों के लोग इस योजना के लाभार्थी बनने के योग्य नहीं हो पाएंगे क्योंकि इनमें अधिकांश लोग अनपढ़ और बहुत ही गरीब होते हैं जिनकी इंटरनेट तक पहुँच नहीं होती है। यह संभव है कि उक्त चिन्हित लोगों में से कुछ लोग 'साइबर कैफे' जाकर इंटरनेट की सुविधा हासिल कर लें और इस योजना के लाभार्थी के तौर पर स्वयं को रजिस्टर करा लें लेकिन इस योजना के तहत आने वाले बाकी लाभार्थी स्वयं को रजिस्टर कराने की स्थिति में नहीं है। इस प्रकार यह योजना बहुत लाभदायक नहीं है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह द्वारा 'आयुष्मान भारत योजना' को ना लागू करने वाले राज्यों के लोगों को इस योजना से वंचित रखने का आरोप गलत और अविश्वसनीय है। यह आश्चर्य की बात है कि केंद्र सरकार का यह कहना है कि इस योजना से अब तक 1 करोड़ लोग लाभ उठा चुके हैं। केंद्र सरकार के इस प्रोपेगैंडा की सच्चाई का सत्यापन किया जाना बाकी है क्योंकि मोदी सरकार की कोई घोषणा विश्वसनीय नहीं होती है।

'आयुष्मान भारत योजना' के अनुसार जिन लोगों ने स्वयं को इस योजना का लाभार्थी बना लिया है उनको इस योजना का लाभ तभी मिलेगा जब वें अपने गृह राज्य से दूसरे राज्यों में जाएंगे, वहां बीमार पड़ेंगे और किसी सरकारी अस्पताल में दाखिल होंगे। तब इन अस्पतालों में इनका इलाज मुफ्त होगा। दूसरे शब्दों में इनके इलाज का खर्च केंद्र सरकार द्वारा जारी ऐसे सभी लाभार्थियों को ₹ 5 लाख की 'मेडिकल इंश्योरेंस' स्कीम की मदद से की जाएगी। अब यह बात बहुत ही स्पष्ट हो जाती है कि इस योजना के लाभार्थियों को इसका फायदा तभी मिलेगा जब वें अपने गृह राज्य से दूसरे राज्य में जाएंगे और वहाँ बीमार पड़ेंगे।


(रोहित शर्मा विश्वकर्मा)

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